बैतूल (एम0पी0 ब्यूरो)। शासकीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के साथ स्कूलों में संसाधन मुहैया कराने के उद्देश्य दो वर्ष पूर्व शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों को गोद लेने के लिए संबंधित क्षेत्र के किसी समाजसेवी या प्रतिष्ठित व्यक्ति को स्कूल गोद लेने के लिए प्रेरित करने की योजना रा’य शिक्षा केन्द्र द्वारा शुरू की थी। इसका उद्देश्य था कि गोद लेने वाले व्यक्ति अपने स्तर पर स्कूल में संसाधन मुहैया कराकर शिक्षकों के अलावा खुद भी ब’चों को पढ़ाएं। लेकिन शासन की इस योजना का प्रचार-प्रसार न होने से योजना पूरी तरह से ठप हो गई। राय शिक्षा केन्द्र के इन आदेशों का जिले में पालन न होने से न अधिकारियों ने स्कूलों में पढ़ाने की रुचि ली और न ही शिक्षा विभाग ने ही इसे गंभीरता से लिया। दरअसल शासकीय स्कूलों में बदहाल होती शिक्षा व्यवस्था के मद्देनजर यह व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया था लेकिन बैतूल में इस योजना को को पूरी तरह पलीता लग गया।
सकारात्मक परिणाम की उम्मीद पर फिरा पानीदो वर्ष पुरानी योजना के तहत राजस्व, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, पीएचई, जिला अस्पताल, नपा सीएमओ, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सिंचाई विभाग, सहकारिता विभाग, जनपद पंचायत सीइओ, बीआरसी, बीइओ, महिला बाल विकास के परियोजना अधिकारी सहित अन्य विभागों को शासकीय स्कूल गोद देने की योजना थी। जिसके तहत यदि उक्त अधिकारी स्कूलों में अपना एक घंटे का समय भी फिल्ड विजिट के दौरान देते तो इसके सकारात्मक परिणाम सामने आते। स्कूल गोद लेने वाले अधिकारियों को स्कूलों का निरीक्षण समय-समय पर करने के अलावा अलग-अलग विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी भी सौंपी जानी थी। प्रतिभा पर्व और मॉनीटरिंग में सिमटा विभागरा’य शिक्षा केन्द्र के निर्देशों को गंभीरता से अमल न करते हुए महज प्रतिभा पर्व के दौरान अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त कर स्कूलों की मॉनीटरिंग तक ही जिला शिक्षा विभाग सिमट कर रह गया। यही वजह है कि शासन की महत्वाकांक्षी एवं शिक्षा में गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए बनाई गई योजना महज कागजों पर ही दौड़ते रही। अपने ही विभाग में काम ‘यादाशिक्षा विभाग को रा’य शिक्षा केन्द्र द्वारा दो-दो शासकीय स्कूल गोद अधिकारियों को गोद देने संबंधी योजना पर अमल करने के निर्देश दो वर्ष पूर्व दिए गए थे। लेकिन योजना को अमली जामा पहनाना विभाग के लिए टेड़ी खीर बन गया। दरअसल यह योजना मूलत: अधिकारियों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई। इसके दूरगामी परिणाम सामने यह आए कि विभाग द्वारा अधिकारियों को स्कूल गोद देने की यदि सूचना दी भी तो अधिकारी इस पर अमल नहीं कर सकें क्योंकि विभागों में ही काम का इतना दबाव होता है कि ऐसे में अधिकारी दीगर विभागों में दखल देने से तौबा करते है। यही वजह है शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में बढ़ते कदम थमें के थमे रह गए। इनका कहना…जिला स्तर के अधिकारियों के दौरान स्कूलों की मॉनीटरिंग की जाती है। प्रतिभा पर्व के दौरान जिला स्तरीय अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है। जो स्कूलों की मॉनीटरिंग एवं शैक्षणिक आंकलन भी समय-समय पर करते है।