दरभंगा। मिथिलांचल का लोक पर्व मधुंश्रावणी के पहले दिन सोलहों श्रृंगार में सजी नव विवाहिता की टोली गीत गाती है। कोहबर में विषहरि बनाया जाता है। गौड़ी तैयार किया जाता है। व्रत आंरभ होने के साथ ही महिला नव दंपती को शिव तथा पार्वती की कथा सुनाकर सफल दापत्य की कामना करती है। मधुश्रावणी की पुजा के लिए नव विवाहिताए अपने मायके पहॅुच जाती है। पुजा में उपयोग होने वाली सामग्री ससुराल से आने वाले भाड़ से आता है। उसमे साड़ी और श्रृंगार पिटारी के साथ व्रती के खाने की सामग्री भी मौजूद रहता है। इस पर्व के दौरान व्रती अरवा-अरवाइन ही खाती है। नवविवाहिताए हरी साड़ी और हरी लहठी पहनती है। मधु श्रावणी में सुबह पुजा और कथा होती है और शाम को वांस की टोकरी को फूल और पत्तो से सजाया जाता है। नवविवाहिताओं की पुजा के लिए प्रतिदिन दीप जलाकर कोहवर घर में ससुराल आये समानों के साथ मैना के पत्तो पर धान का लावा रखा जाता है। उस पर दूध चढ़ाया जाता है। व्रती हर सुवह कथा सुनने के बाद ही भोजन ग्रहन करती है। यह व्रत इस वार 13 दिनों तक चलेगा।
Check Also
एडीएम नीरज दास की अध्यक्षता में जिला स्थापना दिवस को लेकर बैठक
सौरभ शेखर श्रीवास्तव की ब्यूरो रिपोर्ट दरभंगा। जिला स्थापना दिवस समारोह का सफल आयोजन को …
जेडीयू नेता राजेश्वर राणा ने तेजस्वी यादव की घोषणा पर बोला हमला
दरभंगा। जेडीयू नेता राजेश्वर राणा ने तेजस्वी यादव द्वारा दरभंगा में प्रेस वार्ता कर महिलाओं …
2025 में जनगणना, बिहार में तैयारी शुरू
डेस्क। बिहार में 2025 में होने वाली जनगणना की तैयारी शुरू हो गई है। अभी …