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चंबल वैली में मैराथन प्रतियोगिता का होगा विशाल आयोजन

-कभी दस्यु सम्राटों की रही क्रीड़ा स्थली अब प्रतिभागियों की बनेगी क्रीडा स्थली

-चंबल वैली में 14 जनवरी को होगी मैराथन प्रतियोगिता तीन राज्यों के प्रतिभागी लेंगे भाग

-पर्यावरण विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव चौहान ने इस कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की

-ऐसी प्रतियोगिताओं के अनवरत होने से पर्यटकों का होगा ध्यानाकर्षण, यहां के लोगों की सुधरेगी माली हालत

मैराथन प्रतियोगिता से प्रकृति संसाधनों में निखार आएगा तो वहीं आपसी दिलों को जोड़ने के लिए संयोग बनेगा:सुभाष चौहान

डॉ0 एस.बी.एस. चौहान/धर्मेंद्र प्रताप सिंह सेंगर चकरनगर/इटावा।

बीहड़ में पहली बार हो रही ‘चंबल मैराथन’, तीन राज्यों के लोग लेंगे हिस्सा।

उस बीहड़ में जहां कभी डकैतों का बोलबोला था, वहां अब चम्बल मैराथन जैसी प्रतियोगिताएं हो रही हैं।
“Chambal Marathon” बीहड़ में पहली बार हो रही ‘चंबल मैराथन’, तीन राज्यों के लोग लेंगे हिस्सा।

ये है उद्देश्य-

चम्बल मैराथन की तैयारियों का जायजा लेती टीम
Chambal Marathon: उस वक़्त जो अभी बहुत ज्यादा दिन नहीं बीता जब चम्बल के बीहड़ों में डकैतों के चलने और गोलियों की गूँज ही सुनाई देती थी, लेकिन अब हालात वैसे नहीं रहे। ऐसा पहली बार हो रहा है जब ‘चंबल मैराथन’ के बीहड़ों से होकर गुजरेगी।

-चम्बल मैराथन प्रतियोगिता का आयोजन होगा

इसमें तीन राज्यों यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान के लोग हिस्सा ले रहे हैं।चंबल फाउंडेशन द्वारा आयोजित कराई जा रही है इस प्रतियोगिता का उद्देश्य चंबल को विकास की ओर ले जाने के लिए ध्यानाकर्षित कराने का है। जहां से चंबल मैराथन के प्रतिभागी गुजरेंगे, वहाँ का राष्ट्रीय खिलाड़ी राहुल तोमर ने जायजा लिया।

चम्बल फाउंडेशन के शाह आलम (Shah Alam) बताते हैं कि आगामी 14 जनवरी को सुबह आठ बजे से इटावा जनपद स्थित चंबल नदी से यमुना नदी तक ‘चंबल मैराथन प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जा रहा है। इस मैराथन का प्रारंभ खेड़ा अजब सिंह गांव के नजदीक चंबल वैली वर्ड वाचिंग एंड क्रोकोडाइल रिसर्च सेंटर से शुरू होगा।समापन उदी मानिकपुर बाईपास, यमुना नदी तट पर होगा। चंबल फाउंडेशन द्वारा चलाई जा रही ‘स्प्रिट चंबल’ और ‘रन फॉर बेटर चंबल’ जैसी मुहिम से चंबल नदी घाटी क्षेत्र का परिदृश्य और पहचान बदल सकेगी। चंबल फाउंडेशन द्वारा आयोजित चंबल मैराथन की तैयारियों का उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के प्रभारियों ने जायजा लिया।

प्रतियोगिता के उत्तर प्रदेश के प्रभारी और राष्‍ट्रीय खिलाड़ी राहुल तोमर ने कहा कि चंबल-यमुना का दोआबा का यह इलाका आजादी आंदोलन में कंपनीराज के खिलाफ अंग्रेजों की सबसे बड़ी चुनौती बना रहा है। आजाद हिंद फौज की तर्ज पर बनाई गई ‘लाल सेना’ के कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया और चंबल के रणबांकुरों से ब्रिटिश सरकार घबरा गई थी। ‘नर्सरी आफ सोल्जर्स’ के नाम से सुविख्यात चंबल वह क्षेत्र है जहां के लोग देश के लिए बलिदान हो जाने के जुनून के चलते सबसे ज्यादा संख्या में सेना और अन्य बलों में बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं। इस बड़े क्षेत्र में शांति के दिनों में भी किसी न किसी गांव में सरहद पर तैनात किसी जवान को तिरंगे में लपेटकर लाया जाता है।

प्रतियोगिता के मध्य प्रदेश के प्रभारी और अर्से से चंबल पर्यटन के रूह-ए-रवा राधे गोपाल यादव ने कहा कि गौरवशाली विरासत वाले चंबल घाटी में बिना देर किए उसकी प्राकृतिक संरचनाओं को सहेजते हुए प्रगति की गंगा बहाई जाए।चंबल क्षेत्र के युवाओं की शिक्षा, ऊर्जा और आवेश को रचनात्मक धरातल प्रदान करते हुए सृजनात्मक उपयोग होना आवश्यक है।बीहड़ी इलाके के लिए विशेष पैकेज जारी हों।चंबल के उपेक्षित स्थलों को राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र से जोड़कर घाटी में पर्यटन की अपार संभावनाओं की राह खोली जाए।

राजस्थान के प्रभारी पुखराज बैरवा ने कहा कि चंबल मैराथन घाटी की सांस्कृतिक ऊर्जा से विश्व को संदेश देगा कि चंबल अब देश दुनिया के साथ कदमताल करने को बेताब है।

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव चौहान बताते हैं कि यह चंबल वैली यहां यमुना-चंबल-कुंवारी-सिंध-पहूज के बीच स्थापित ऊबड-खाबड़ क्षेत्र जो यह एक प्राकृतिक देन है इसे हम प्राकृतिक धरोहर कहेंगे। यहां पर सिर्फ और सिर्फ पर्यटकों के इस तरफ आने की कमी बाकी है। बाकी का तो भगवान और सरकार ने अपने प्रयासों के चलते बहुत कुछ बनाकर तैयार कर दिया है, और आगे बन भी रहा है। सिर्फ पर्यटक इस क्षेत्र में अपना प्रवेश दे दें तो इस क्षेत्र की माली हालत बेहद मजबूत हो जाएगी। पर्यटकों का अभाव ही इस क्षेत्र में कमी का कारण सिद्ध हो रहा है। नाना प्रकार की प्रतियोगिताएं इस क्षेत्र में होने से जहां एक तरफ क्षेत्र का विकास होगा, लोगों के अंदर पहिचान भी बनेगी। इस मैराथन प्रतियोगिता के बारे में पर्यावरण विशेषज्ञ डॉक्टर चौहान बताते हैं कि यह कार्य तारीफे काबिल है। जब यहां पर तीन प्रांतों के खिलाड़ी/धावक अपना एडमिशन लेकर कला का प्रदर्शन करेंगे तो स्वाभाविक है की भारी-भरकम भीड़ इस कार्यक्रम को देखेगी इसका समाचार पत्रों, चैनलों व अन्य संचार माध्यमों से इसका प्रसार प्रचार होगा तो लोगों का ध्यानाकर्षण इस क्षेत्र की तरफ जरूर होगा। इसलिए यह कदम विशेष सराहनीय है।

पर्यावरण से विशेष प्रेम रखने वाले सुभाष चौहान व प्रशांत चौहान बताते हैं की हमारे क्षेत्र में धना भाव की कमी नहीं है हमारे क्षेत्र में जो कमी है वह सिर्फ इस बात की कि राजनैतिक स्तर पर दबदबा ना होने के कारण यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। नेता भी बड़े-बड़े हुए, अधिकारी भी बड़े-बड़े हुए जहां पर कमांडर अर्जुन सिंह भदोरिया, हाईकोर्ट में जज रहे आसाराम तिवारी, डॉ राम बाबू तिवारी आदि जैसी तमाम महान हस्तियां को नहीं बुलाया जा सकता इस माटी में पली और उन्होंने यहां का विकास किया पर उस हैसियत से नहीं कि यह माटी हमारी विशेष महत्व की है और इसे विकास के दर्जे पर लाने के लिए जी तोड़ मेहनत की जाती। हो सकता है कि उनके पास समयाभाव रहा हो या सोच की कमी रही हो और इस कमी का कारण मुख्य रूप से यह भी रहा हो कि यहां के लोग विकास की मुख्यधारा से जोड़ने पर सहयोग के बजाय एक दूसरे की टांग खींचने का काम करने में अपनी दक्षता दिखाते हैं। हो सकता है इसी का मूल कारण है कि आज हमारा क्षेत्र विकास की धीमी गति से प्रवेश किए हुए हैं। अब सच्चा विकास तभी संभव है कि जब यहां प्राकृतिक धरोहर, प्रकृति के द्वारा बनाई गई भौगोलिक आकृति और वन संपदा को देखने के लिए पर्यटक आने जाने लगें।

चंबल मैराथन में आस-पास के जिलों के खिलाड़ी दौड़ में प्रतिभागी बनेंगे। मैराथन के बाद उन्हें चंबल फाउंडेशन की तरफ से पुरस्कृत किया जाएगा। रविवार को चंबल फाउंडेशन के बोर्ड मेंबर प्रदीप यादव एडवोकेट, डॉ. कमल कुशवाहा, शशिकांत दीक्षित, गगन शर्मा आदि मौजूद रहे।

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