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विश्व हिंदी दिवस 2021: हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए इन महान साहित्यकार ने किया था संघर्ष

-10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को हिंदी दिवस मनाए जाने का किया था ऐलान।
  • भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने संयुक्त राष्ट्र संघ के पटल पर हिंदी में दिया था भाषण जिसकी की गई थी सराहना।
  • (डॉ0 एस.बी.एस. चौहान) चकरनगर/इटावा।
  • “विश्व हिंदी दिवस”प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्वभर में विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीयों के लिए बहुत विशेष होता है। इसे सबसे पहले 10 जनवरी, 2006ई0 को मनाया गया था। जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने का ऐलान किया। उस वक़्त से प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य लक्ष्य हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलाना तथा प्रचार प्रसार करना है। साथ ही हिंदी को जन-जन तक पहुंचाना है। वर्तमान वक़्त में पीएम नरेंद्र मोदी भी विश्व पटल पर हिंदी भाषा में भाषण देते हैं। इससे पूर्व दिवगंत पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण दिया था। भारत में हिंदी दिवस कब मनाया जाता है

हिंदी दिवस तथा विश्व हिंदी दिवस दो अलग दिनांक को मनाया जाता है। विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। वहीं, हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी के महान साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत श्रम किया। उनकी मेहनत तथा संघर्ष के कारण हिंदी राष्ट्रभाषा बन सकी। व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्म 14 सितंबर, 1900 को एमपी के जबलपुर में हुआ था। सविंधान सभा ने उनकी कोशिशों पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए 14 सितंबर, 1949 को सर्वसम्मति से यह फैसला लिया कि हिंदी ही देश की राष्ट्रभाषा होगी। इस दिन व्यौहार राजेन्द्र सिंह का 50 वां जन्मदिन भी था। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

कैसे मनाया जाता है हिन्दी दिवस?

इस दिन विश्वभर में भारत के दूतावासों में विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। जहां, हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सांस्कृतिक समारोह आयोजित किए जाते हैं। साथ-साथ कई स्कूल, कॉलेजस में उत्साह से विश्व हिंदी मनाया जाता है। कई लोग हिंदी भाषा तथा भारतीय संस्कृति की अहमियत के बारे में बात करने के लिए आगे आते हैं। स्कूल हिंदी बहस, हिन्दी दिवस पर कविता तथा कहानी कहने वाली प्रतियोगिताओं एवं सांस्कृतिक समारोह की मेजबानी करते हैं।

करीब 95 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य एवं हिंदी प्रवक्ता श्री निरंजन इंटर कॉलेज निरंजननगर बादशाह सिंह चौहान उर्फ “गुरू जी” हर वक्त सटीक हिंदी भाषा का प्रयोग करते हुए लोगों को इस बात की जागृति प्रदान करते थे की हिंदी ही हमारी मूल भाषा है और हिंदी भाषा से ही तमाम भाषाएं पैदा हुई हैं। हिंदी भाषा से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने जब विदेशों के पटल पर हिंदी भाषा में भाषण किया तो लोग अचंभित रह गए, लेकिन विदेशी पटल ने भी हिंदी को माना कि यह भाषा परिमार्जित शुद्ध और अपने में रोचक भाषा है इसके चलते विदेशी और वह परदेशी कि जो हिंदी बोलना नहीं जानते हैं या कम ज्ञान है। अंग्रेजी-कन्नड़-तमिल अन्य भाषाओं का जो प्रयोग करते हैं वह हिंदी भाषा का उपयोग करने के लिए भारत की विभिन्न संस्थाओं से योग्यता और महारत हासिल करने के लिए लाखों रुपए खर्च कर अपने समय का सदुपयोग कर जीवन को सार्थक बनाते हैं।

75 वर्षीय सुखबीर सिंह चौहान निवासी छिबरौली जो इस वक्त कोटा मैं हाल मुकाम बनाए हुए हैं हिंदी के अच्छे खासे प्रवक्ता है जिन्होंने हजारों विद्यार्थियों को हिंदी का सटीक ज्ञान देकर उन्हें कंपटीशन में बैठने के योग बना कर बड़े-बड़े अधिकारियों के रूप में उन चेहरों को देखा जा रहा है। श्री चौहान बताते हैं कि यहां कोटा में सबसे बड़ा मुख्य व्यवसाय हिंदी की टीचिंग है यहां पर देश और विदेश के तमाम कंपटीशन में बैठने वाले विद्यार्थी आकर कोटा में खुली हजारों संस्थाओं में एडमिशन ले कर हिंदी की शिक्षा ग्रहण करते हैं उनका मानना है कि जो विद्यार्थी अंग्रेजी और गणित में अच्छे अंक प्राप्त कर अनुभव साली होते हैं लेकिन जब वह कंपटीशन में बैठते हैं तो हिंदी में मार्किंग कम होने पर उन्हें जोब प्राप्त नहीं हो पाता है इसलिए वह विद्यार्थी हिंदी का अध्ययन करने के लिए कोटा में जहां पर सैकड़ों की तादात में संस्थाएं खुली हुईं हैं, अध्ययन प्राप्त कर कंपटीशन में सफलता अर्जित करते हैं। हम समस्त अध्यापकों-प्राध्यापकों का यही मंसूबा होता है प्रथम में के हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रचलन हो और इसकी मूल गहराई को लोग समझ सकें, दूसरा लक्ष होता है कि कंपटीशन में बैठने वाले विद्यार्थी कंपटीशन को अच्छे अंको से पास कर अपनी अहमियत का दर्जा पाने के लिए अपनी काबलियत साबित करने में अपना अनुभव प्रदर्शित कर सकें।

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