पलिया कला/लखीमपुर खीरी।सरकार थारू जनजाति के लोगों स्वास्थ्य के प्रति कितनी जागरूक है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है डेढ़ लाख की आबादी से अधिक होने के बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर केवल अस्पताल का के भवन का निर्माण ही हो पाया है यहां वर्षों से कोई डॉक्टर की तैनाती नहीं हुई है जिसके चलते मरीज अस्पताल में लगा राणा देखकर वापस हो जाते हैं लोगों को अब सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से भरोसा ही उठता नजर आ रहा है ! स्वास्थ्य प्रशासन का कहना है कि पढ़े-लिखे डॉक्टर वार्ड में रहना नहीं चाहते वह कोई ना कोई जुगाड़ बना कर वहां से अपना ट्रांसफर करा लेते हैं!

आपको बता दें कि थारू जनजाति 40 गांव में निवास कर रही है जो दुधवा नेशनल पार्क क्षेत्र में आते हैं यहां स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर केवल सरकारी बिल्डिंग ही खड़ी है ना तो कोई एंबुलेंस है ना डॉक्टर की सुविधा यहां एक चपरासी है जो रोजाना सुबह-शाम झाड़ू लगाकर अपनी ड्यूटी पूरी कर लेती है सरकारी नौकरी है तो उसे छोड़ा भी नहीं जा सकता!
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अस्पताल के गेट पर बैठी महिला मरीजों को यह बताती है कि आप पलिया या जिला मुख्यालय लखीमपुर जो कि 90 किलोमीटर दूर है अपना इलाज वहां करा लीजिए यहां केवल भवन बना हुआ है 10 से 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकारी अस्पताल में डॉक्टर की तैनाती ना होना सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है!