डेस्क : बिहार के 1.64 करोड़ नये लाभुकों को राशन मिलने का रास्ता साफ हो गया। इसमें 14 लाख छुटे हुए लाभुकों को केन्द्र ने अनाज का आवंटन कर दिया। लेकिन जनसंख्या बढ़ने के कारण जिन 30 लाख परिवारों यानी डेढ़ करोड़ लाभुकों के लिए कानून का हवाला देकर अनाज देने से केन्द्र ने इनकार कर दिया था, उन्हें अब राज्य सरकार अनाज देगी। उनका राशन कार्ड छपने लगा। लगभग आठ लाख नया राशन कार्ड छप भी गया।
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में ग्रामीण क्षेत्र के 85.12 और शहरी क्षेत्र के 74.53 प्रतिशत लाभुकों को अनाज देने की व्यवस्था है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य के 8.71 करोड लाभुकों को अनाज दी जा सकती है। लेकिन अभी राज्य में सिर्फ 8.57 लाख लाभुकों को ही अनाज केन्द्र से मिल रहा था। केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने राज्य सरकार को शेष 14 लाख लाभुकों की सूची मांगी थी। उसके बाद राज्य सरकार ने ड़ेढ करोड़ लाभुकों के लिए अनाज की मांग कर दी। केन्द्रीय मंत्री श्री पासवान ने मंगलवार को ट्वीट कर बताया है कि छूटे हुए 14 लाख लाभुकों के लिए अनाज का आवंटन कर दिया गया।
30 लाख नये लाभुक परिवारों में 1.5 करोड लाभुक होंगे
उधर, राज्य सरकार का कहना है कि वर्ष 2011 की जनगणना के बाद नौ वर्षों में राज्य की जनसंख्या में वृद्धि हो गई है। राज्य के जनगणना निदेशक के अनुसार जनसंख्या 10.38 करोड से बढ़कर 12.30 होने का अनुमान है। इस हिसाब से लाभुकों की संख्या बढ़कर 10.31 करोड़ होनी चाहिए। इस नये सर्वे के अनुसार सरकारी अनाज के चह्निति इन 30 लाख नये लाभुक परिवारों में 1.5 करोड लाभुक होंगे। राज्य ने इस इस हिसाब से केन्द्र सरकार से आग्रह किया था कि वह तीस हजार टन गेहूं और 45 हजार टन चावल यानी कुल 75 हजार टन हर माह अनाज का अवंटन बढ़ा दे, ताकि इन नये लाभुकों को अनाज दिया जा सके। लेकिन केन्द्र ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का हवाला देकर नये लाभुकों को अनाज देने से इनकार कर दिया। केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा था कि कानून के अनुसार लाभुकों की संख्या नई जनगणना के बाद ही बढ़ाई जा सकती है।
लिहाजा अब राज्य सरकार इन गरीबों के लिए अनाज की व्यवस्था करने में खुद जुट गई है। राशन कार्ड बनने के बाद ये सभी परिवार सस्ती दर पर मिलने वाले सरकारी अनाज के हकदार हो जाएंगे।