राम किशोर रावत (माल/लखनऊ) :: गांवों के निवासी पहली जुलाई से नये शिक्षा सत्र की शुरुआत मानते हैं।लेकिन फलपट्टी क्षेत्र के कारण स्कूलों में छात्रों की संख्या नगण्य रही।जिससे सरकार का स्कूलचलो अभियान रैली निकालने का संदेश संदेश बनकर रह गया।

अपवाद स्वरूप कुछ स्कूलों को छोड़कर कहीं भी बच्चों की उपस्थिति दर्जन भर से ऊपर नहीं दिखी।अधिकांस शिक्षक बच्चों के लिये बीआरसी से लायी गयीं किताबों को संभालने में लगे देखे गये।जो छात्र मौजूद थे उन्हें किताबों का वितरण किया गया।पीरनगर प्रा0विद्यालय में चौदह,पूर्व मा0 में तिरसठ में बारह, रनीपारा प्रा0विद्यालय में118 में पच्चीस,पूर्व मा0में54 में12,चुकण्डिया प्रा0 विद्यालय में 117 में कुल पन्दरह बच्चेपहुँचे।शिक्षक अजय सिंह छात्रों के घर बुलाने पहुंचे तो अभिभावकों ने ननिहाल जाने की बात कही जब शिक्षक वापस लौट रहे थे देखा आधा दर्जन स्कूली बच्चे बाग में दो सौ रुपये दिहाड़ी पर मजदूरी कर रहे हैं।
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उन्होंने बताया कि बच्चो को स्कूल न भेजकर मजदूरी कराते हो तो उनका जबाब था कि स्कूल में तो रोजे जाना है आम हप्तेभर का है कुछ कमा लेंगे।वहीं सालेह नगर प्रा0 विद्यालय में गांव की शिक्षामित्र बबली सिंह के प्रयास से133छात्रों मेसे लगभग चार दर्जन बच्चे उपस्थित थे।वही अटारी प्रा0विद्यालय में भी साठ छात्रों मेसे केवल सोलह बच्चे ही स्कूल पहुंचे थे।प्रधानाचार्य ने बताया कि शनिवार और रविवार को गांव में बच्चों के घर जाकर बताया था कि सभी लोग सोमवार को स्कूल आना रैली निकलना है लेकिन आज जब बुलाने गये तो अभिभावकों ने आम टूट रहा है दो तीन दिन बाद बच्चा स्कूल आने लगेगा कहकर बच्चे को नहीं भेजा।पूर्व मा0विद्यालय अटारी में भी 87 बच्चों में मात्र पांच बच्चे ही मौजूद थे जिन्हें गुरुजी पढा रहे थे।रुदान खेड़ा प्रा0विद्यालय में पांच दर्जन से अधिक छात्र हैं जहां मात्र डेढ़ दर्जन ही मौजूद थे।सभी स्कूलों कशिक्षकों ने बच्चों की उपस्थिति में आम कारोबार की वजह कम उपस्थिति को बताया और बच्चो की कमी के चलते स्कूलचलो अभियान रैली न निकाल पाना मुख्य कारण कहा।
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