डेस्क : भारतीय राजनीति का बड़ा चेहरा और पूर्व रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस का मंगलवार की सुबह निधन हो गया. सुबह सात बजे के करीब फर्नांडिस के निधन की औपचारिक सूचना मिली है. फर्नांडिस 88 वर्ष के थे.
जॉर्ज फर्नांडिस के आवास के बाहर लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है. पुलिस प्रशासन की तरफ से भी सुरक्षा और चाक-चौबंद बढ़ा दी गई है. समाजसेवी और पूर्व समता पार्टी की अध्यक्ष जया जेटली ने कहा कि फर्नांडिस के बेटे के आने के बाद कल उनका अंतिम संस्कार होगा. फिलहाल, शव को क्षत-विक्षत किया जा रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता और समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली ने आगे कहा कि जार्ज फर्नांडिस ने अपनी इच्छा व्यक्त की थी कि उनका अंतिम संस्कार किया जाए, लेकिन अपने अंतिम दिनों के दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें दफनाया जाए. इसी कारण हम शरीर का दाह संस्कार करेंगे और राख को मिट्टी में दफनाएंगे. इससे उनकी दोनों इच्छाएं पूरी हो जाएंगी.
खबरों की माने तो जॉर्ज फर्नांडिस बीते दो दिनों से स्वाइन फ्लू से ग्रसित थे. बीमारी से जूझ रहे जॉर्ज फर्नांडिस का दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उपचार हो रहा था. इसके बावजूद भी उनकी हालत में सुधार नहीं देखा गया और हालत खराब होती रही. इसके बाद ही आज डॉक्टरों ने उन्हे मृत घोषित कर दिया.
जॉर्ज फर्नांडिस ने राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने कई बड़े पदों पर काम करने के साथ ही केंद्र में मंत्री के रूप में भी काम किया है. रेलवे हो या रक्षा या फिर बात करे संचार और उद्योग मंत्रालय की तो जॉर्ज फर्नांडिस ने इन मंत्रालयों को बखूबी संभाला.
बता दें की अटल बिहारी की सरकार में फर्नांडिस रक्षा मंत्री थे. इस दौरान उन्होंने सेना से जुड़े कई अहम निर्णय लिए.
इमर्जेंसी के दिनों की बात करें तो जॉर्ज फर्नांडिस वही थे जिन्होंने इमर्जेंसी के समय गिरफ्तारी से बचने के लिए सिख का भेष धारण किया था. उन्होंने पगड़ी और नकली दाढ़ी भी लगाई थी. जब उनकी गिरफ्तारी हुई तो वे तिहाड़ जेल में साथी कैदियों को गीता के श्लोक सुनाया करते थे. 1974 की रेल हड़ताल के बाद वह एक अलग रूप में नजर आए. बीना डरे उन्होंने बेबाकी के साथ इमर्जेंसी के लगाए जाने का विरोध किया.