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विभाग नहीं दे रहा ध्यान इसलिए नियम तोड़कर बना रहे स्पीड ब्रेकर

चकरनगर/इटावा। चकरनगर लखना रोड पर दिवाली पुल के पार यानी चौकी लड़ी लड़ी के अंतर्गत ठीक चौकी के सामने स्पीड ब्रेकर नहीं फुल स्पीड ब्रेकर अवैध रूप से निर्माण करा कर वाहन चालकों को बेहद रूप से परेशान किया जा रहा है कभी-कभी तो हादसा होते बाल बाल बचत देखा जाता है। सड़क पर नियमों को तोड़ते हुए फुलस्पीड ब्रेकर बना दिए गए हैं। इससे जहां पीठ दर्द के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, वही इससे वाहनों की रिपेयरिंग का खर्च भी बढ़ा है। इसके बाद भी सड़कों पर बने इन ब्रेकरों को हटाने पर विभागों के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।विभाग नहीं दे रहा ध्यान, इसलिए नियम तोड़कर बना रहे स्पीड ब्रेकर

 

नियमानुसार हाइवे या गलियों में कहीं भी स्पीड ब्रेकर बनाने का नियम नहीं है। बेहद जरूरी होने पर मामला जिला यातायात सुरक्षा समिति के पास जाता है और उसके अनुमोदन के बाद ही निश्चित मापदंड के अनुरूप ब्रेकर बनवाए जाते हैं। इसका पालन नहीं हुआ।शहर में बनी नई सड़कों पर वाहनों की स्पीड को कम करने के लिए काले-पीले रंग के स्पीड ब्रेकर लगाए जाते थे, इनके निर्माण में भी नियमों का पालन नहीं जाता था, और इसका एक सूचना बोर्ड भी सामने ब्रेकरों के दोनों तरफ लगा दिया जाता था जिससे ड्राइवर सावधान होकर गाड़ी चलाते थे लेकिन यहां पर तो किसी प्रकार का कोई नियम का पालन नहीं किया गया है सफेदी तक नहीं डाली गई‌।खास कर गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गों के लिए भी घातक. अमानक और ऊंचे ब्रेकर खासतौर पर गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए घातक हैं। इससे मिलने वाले झटके दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि ब्रेकर के झटके से गर्भवती महिलाओं को नुकसान हो सकता है। सड़क पर घटिया क्वालिटी और नियम विरुद्ध बने स्पीड ब्रेकर्स से गुजरने पर वाहन चालकों की रीढ़ की हड्डी को झटका लगता है। इससे हडि्डयां क्रेक या मसल्स डेमेज हो सकती है जो धीरे-धीरे करके कुछ दिनों बाद कमर दर्द के रूप में सामने आती है।

 

ब्रेकर से लगने वाले झटके से बाइक या कार के कलपुर्जों को नुकसान पहुंचता है

∆ पास -पास बने अमानक ब्रेकरों से झटका लगने से बढ़े कमर दर्द के मरीज

∆ स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए लेनी पड़ती है परमिशन

 

स्पीड ब्रेकर ट्रैफिक पुलिस व लोगों की मांग पर नगरीय निकाय भी बनवाती है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी को आवेदन देना होता है। विभाग के अधिकारी ब्रेकर की आवश्यकता जांचने के बाद परमिशन देते हैं, जबकि लगता है यहां पुलिस की मनमर्जी से ब्रेकर बनेे हैं जो विधि विपरीत हैं यहां पर मानक का भी कोई ध्यान नहीं दिया गया इन ब्रेकर्स को बनाने के लिए पहले ईट बिछाई गई उसके बाद ऊपर से डामर डाल दिया गया।

 

यह सड़क निर्माण एजेंसी या स्थानीय नगरीय निकाय की जमीन में अतिक्रमण जैसा है। इस पर जुर्माना भी ठोका जा सकता है।नियम तो कहता है कि कहीं पर भी स्पीड ब्रेकर नहीं रहना चाहिए। सरकार ने स्पीड ब्रेकर बनाने पर रोक लगा दी है। डिभौली पुल लवेदी थाना क्षेत्र की चौकी के ठीक सामने दो ब्रेकर जो बिल्कुल नजदीक है जहां ब्रेकर बना है वह अवैध है।

नाम न छापने की शर्त पर एक्सपर्ट इंजीनियर ने कहा कि भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) की ब्रेकर निर्माण को लेकर गाइड लाइन है। इसमें यह ध्यान दिया गया है कि सड़क पर स्पीड ब्रेकर की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई का स्लोप इस तरह बनाया जाए, जिससे वाहन की स्पीड तो कम करनी पड़े, लेकिन चालकों को हिचकोले या झटके नहीं लगें।

 

क्या कहते हैं अधिकारी?

एई गगन सर सार्वजनिक निर्माण विभाग इटावा से पूछे जाने पर दूरभाष पर बताया की यह ब्रेकर बने हैं तो इसकी जानकारी मैं अपने भाग 2 के जे इ से पूंछ रहा हूं और सारी जानकारी कलेक्शन करने के बाद बताऊंगा कि आखिर क्या मामला है यह ब्रेकर कैसे बने वैरहाल इसमें हमारी तरफ कोई अभी तक परमिशन नहीं दी गई है किसने बनवाए कैसे बने इसके लिए मैं जांच पड़ताल कर अग्रिम कार्रवाई करूंगा।

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