दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्वपोषित संस्थान दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ. सरदार अरविंद सिंह ने कहा कि शोध कार्य से प्राप्त निष्कर्ष समाज के लिए हितकारक है।
उन्होंने कहा कि नौकरी व पदोन्नति प्राप्त करने के लिए शोध उद्देश्य नहीं होना चाहिए। वे रविवार को शिक्षा विभाग के पीएचडी कोर्स का विधिवत आरंभ कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रत्येक शोधकार्य का लाभ समाज तथा राष्टÑ को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपनी मातृभाषा में किया गया शोध उपयोगिता के दृष्टि से अधिक श्रेयकर होता है।
- क्रिसमस डे पर FA7IONCART ने किया इंवेट प्रोग्राम
- कायस्थ महोत्सव 12 जनवरी को, जरूर पधारें …
- अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राजेंद्र कर्ण मनोनीत
- एडीएम नीरज दास की अध्यक्षता में जिला स्थापना दिवस को लेकर बैठक
- जेडीयू नेता राजेश्वर राणा ने तेजस्वी यादव की घोषणा पर बोला हमला
वहीं डॉ. डी. एन. सिंह ने कहा कि शोध के चयन का कार्य समाज के लिए उपयोगी हो उसे करना चाहिए। शोध मात्र डिग्री पाने के लिए नहीं, बल्कि शोध के समय सूक्ष्म बातों पर ध्यान देना चाहिए। जो समाज के हितकारी हों। वहीं डॉ. विजय कुमार ने कहा कि शोध कार्य का उद्देश्य सत्य का अनुसंधान करना ही होता है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार चौधरी ने कहा कि शोधार्थी का पहला लक्ष्य समय पालन करना है। जो समय का पालन नहीं करते वे अच्छे शोधार्थी नहीं बन सकेंगे। इस अवसर पर प्राध्यापक डॉ. सुजित कुमार द्विवेदी ने कहा कि गुणात्मक शिक्षा में शिक्षक और छात्र दोनों की भूमिका अहम है।
इस अवसर पर डॉ. शम्भु प्रसाद, सुबोध कुमार, ज्ञान प्रकाश तिवारी, आनंद मोहन, विनय कुमार रमण ने भी अपने विचार रखे। संचालन डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र धन्यवाद ज्ञापन निर्मल कुमार और स्वागत प्रो. विनय कुमार चौधरी ने किया।