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अंग्रेजी के माध्यम से महिला- सशक्तीकरण पर वेबिनार

पटना। देश में सामाजिक असमानता दूर करने के मकसद से दूर-दराज के इलाकों में रहने वाली महिलाओं के लिए ऑनलाइन अंग्रेजी भाषा जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए ‘अंग्रेजी के माध्यम से महिला- सशक्तीकरण ‘ विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया गया । यह कार्यक्रम देश के जाने माने अंग्रेज़ी भाषा प्रशिक्षण संस्था ब्रिटिश लिंग्वा की और से गत रविवार को किया गया।

 

पटना उच्च न्यायालय की वरिष्ठ वकील श्रीमती मंजू झा ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने कहा कि एक कानूनी पेशेवर के रूप में उनका मानना है कि सभी महिलाओं को 90 के दशक के वाद वैश्वीकरण एवं बहुभाषावाद को ध्यान में रखते हुए जहां अंग्रेजी संपर्क भाषा के रूप में काम कर रही है, अच्छे कम्युनिकेशन स्किल्स की आवश्यकता है।

 

 

एक उदाहरण देते हुए, विदुषी अधिवक्ता मंजू झा ने आगे कहा कि जब पुरुष और महिलाएं खासकर संचार कौशल के मामले में एक ही तरंग दैर्ध्य पर होते हैं, तो जीवन अच्छी तरह से चलता है। जैसे कि यदि प्रत्येक रथ के पहिये की चिकनाई और संतुलित ठीक से की गयी हो तो वे सुचारू रूप से चलते हैं और अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचते पाते हैं ।

 

दूरगामी प्रभाववाला कार्यक्रम का समर्थन करते हुए, श्रीमती झा ने जोड़ देते हुए कहा कि ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक डॉ. बीरबल झा को पूरी दुनिया में किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वे कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं। उनकी पहल, इंग्लिश फॉर ऑल ‘ बहुत आगे तक जाएगी, और प्रत्येक महिला को इस कार्यक्रम में में शामिल होना चाहिए। इस कायर्क्रम हेतु डिज़ाइन किए गए मॉड्यूल का लाभ उठाना चाहिए। इससे निःसंदेह महिलाओं की मौजूदा स्थिति और जीवन स्तर में सुधार होगा।

 

 

प्रसिद्ध लेखक डॉ. बीरबल झा जिन्हें भारत में अंग्रेजी प्रशिक्षण में क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है, ने कहा कि माता-पिता, विशेषकर माताओं का अपने बच्चों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। अतएब, महिलाओं को अंग्रेजी कौशल में प्रशिक्षित करने से न केवल उनके बच्चों और परिवारों को बल्कि पूरे समाज को लाभ होगा। अतः देश भर से महिला उम्मीदवारों का ब्रिटिश लिंगुआ ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जिसका उद्देश्य अंग्रेजी के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना है, में शामिल होने के लिए स्वागत है ।

 

‘इंग्लिश फॉर सोशल जस्टिस इन इंडिया’ के लेखक डॉ. बीरबल झा ने आगे बताया कि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली में त्रिभाषा पद्धति की भावना है कि हर किसी को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हो और इसका लाभ मिले । यह देश में 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित होने के बाद से ही चलन में है, जिसमें अंग्रेजी अनिवार्य है।

 

 

 

डॉ. झा का मानना है कि पति -पत्नी के बीच विवाद एवं कई तलाक केवल गलतफहमी और कम्युनिकेशन गैप के कारण ही होते हैं। इसे देखते हुए, समय आ गया है कि जीवनसाथी को अनुकूलता क्षमता विकसित करने में सहायता की जाए, जिसमें उत्कृष्ट संचार कौशल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी ।

 

डॉ. बीरबल झा ने ब्रिटिश लिंग्वा में मील रहे अनुभव को साझा करते हुए बताया कि अब दादा-दादी अपने कॉन्वेंट स्कूल जाने वाले पोते-पोतियों के साथ तारतम्य बनाने और अंगरेजी भाषाई क्षमता खासकर उच्चारण को लेकर उनके अनुकूल होने के लिए अंग्रेजी भाषा की कक्षाएं लेना शुरू कर दिया है।

 

 

अन्य लोगों के अलावा, उपस्थित लोगों में प्रमुख रूप से पटना विश्वविद्यालय से प्रोफेसर अरुणा चौधरी, अधिवक्ता श्वेता कुमारी, सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पा प्रकाश, बिहार के बेगुसराय से बेबी कुमारी और पंजाब से पुष्पा प्रजापति शामिल थीं।

 

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