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बिहार :: कायस्थ समुदाय के लोगो ने हर्षोउल्लास के साथ मनाया भगवान चित्रगुप्त की पूजनोत्सव

मधुबनी/अंधराठाढ़ी-रमेश कर्ण:– प्रखंड भर में कायस्थ समुदाय के लोगो ने हर्षोउल्लास के साथ भगवान चित्रगुप्त की पूजनोत्सव मनाया है। अंधराठाढ़ी में दो जगहो पर चित्रगुप्त पूजा होती है।  यहां प्राचीन चित्रगुप्त पूजा समिति और सर्वजनिक पूजा समिति है।इसके अलावे रतुपर, देवहार, सर्रा, नवनगर गाव में भगवान चित्रगुप्त के मूर्ति स्थापित कर भव्य पूजा पंडाल बनाकर पूजा की गयी है। इस अबसर पर जगह जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन रखा गया है। यह मान्यता है कि कायस्थ जाति के लोग चित्रगुप्त पूजा के दिन कलम दवात के पूजा करते है। दिन भर कलम चलने से खुद को बर्जित रखते हैं। पूजा के अबसर पर आज भी नवसाक्षर बच्चो को अक्षरारम्भ करने की प्रथा कायस्थों में प्रचलित है। कायस्थ जाति के छात्र छात्राए बढ़ चढ़ कर पूजा में शामिल होती है। सभी पुस्तको के साथ समर्पण भाव से पूजा करते है। कायस्थ जाती के लोगो के यह आरद्धय देव है। न केवल कलम के देवता मानते हैं। वल्कि भगवान चित्रगुप्त को कुल देवता और कुल शेष्ट भी मानते है। आम लोगो की मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त न्याय और भाग्य के नियंत्रक हैं । जीवमात्र के जीवन भर के लेखा जोखा रखना उनका काम है। उनके बनाये लेखा जोखा के आधार पर मनुष्य को उनके किये का फल तय होता है। किसी भी मानव के जीवन में न्याय और भाग्य  दोनों की अंतिम आवश्यकता होती है ।लेखनी तो केवल न्याय की अभिव्यक्ति है ।इसी लिए यह पूजा किसी जाति विशेष की न होकर मानव जाति की हो जाती है । अंधराठाढ़ी में  चित्रगुप्त पूजा समिति द्वारा वर्षो पूर्व बुद्धसागर लाल पुस्तकालय के नाम से जमीन आदि भी है। मिट्टी के बने पुराने पुस्तकालय भवन ध्वस्त होने के बाद से नया भवन नही बन सका है। प्राचीन चित्रगुप्त पूजा समिति के अध्यक्ष तुलकान्त लाल दास एवं सार्वजनिक चित्रगुप्त पूजा समिति के अध्यक्ष प्रवीण कर्ण के मुताविक पुस्तकालय के भवन बनाने की प्रयाश की जा रही है। निर्माण के बाद पुस्तकालय परिसर में स्थायी रूप से चित्रगुप्त मंदिर निर्माण कराया जाएगा।
बरिष्ट पत्रकार रमेश कर्ण के मुताविक कर्णमृत के रचयिता श्रीधर दास द्वारा यहां के इतिहास प्रसिद्ध कमलादित्य में मंदिर निर्मित है। यहाँ के शिलालेख से प्रतीत होता है कि श्रीधर दास उर्फ श्री धर ठक्कूर राजा नान्य देव के महामंत्री थे। अंधरा ठाढ़ी में कर्ण कायस्थों के प्राचीन काल से ही जुड़ाव रहा है। यहां भगवान चित्रगुप्त महराज के मंदिर के साथ साथ इतिहास पुरुष श्री धर ठक्कूर के भी मंदिर बनना आवश्यक है।

फोटो अंधराठाढ़ी में बने चित्रगुप्त के प्रतिमा।

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