बिहारशरीफ। भारत की संस्कृति मे संबंधों का उत्सव मनाया जाता है। पांच दिनी दीपावली के अंतिम दिन दिपावली के बाद शुक्ल पक्ष द्वितीया को भैया दूज मनाया जाता हैं। यह पर्व बहन द्वारा बांधा गया रक्षा सूत्र अपने लिए रक्षा और भाई के लिए मंगल कामना का प्रतिक है। रक्षा बंधन और भैया दूज दोनों का मूल भाव एक ही है। यह पर्व मुख्य रूप से उत्र प्रदेश, पंजाब और बंगाल मे बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। इसके अलावा इस पर्व का फैलाव धीरे धीरे अन्य राज्यों मे भी होता जा रहा है। भैया दूज पर सुबह से ही मंदिरों मे महिलाओं की भींड़ देखी जा रही थी। महिलाओं ने मंदिरों मे पूजा अर्चना कर अपने भाई की सलामती के लिए प्रार्थना की गई। ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को बहन अपने भाई के घर जाती है धान, दूव चन्दन से भाई के ललाट पर तिलक कर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं भैया दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। पुराणों मे वर्णित कहानियों के अनुसार सूर्य और संज्ञा के जुड़वा बच्चे यम और यमी थे। यम पर पितरों की देखभाल का जिम्मा था बाद मे मृत्यु के देवता का कार्य भार भी मिल गया। यमी यमुना नदी बनकर बहने लगी, बहुत समय बाद यम को बहन की याद आयी और मिलने पहुंच गये। खुशी पूर्वक बहन ने भाई का स्वागत किया और भोजन कराया यम ने प्रसन्न होकर यमी को वर मांगने को कहा तब यमी ने कहा कि आज के दिन जो भी भाई बहन हाथ पकड़ कर मथुरा के विश्राम घाट पर स्नान करेगे उस भाई को कभी यमपुरी नही जाना पडे़गा। इसी तरह की मान्यता हरेक राज्यों मे अलग अलग तरह से मनाई जाती है।
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