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बिहार :: कुरीतियों को दूर करने की प्रेरणा मिली स्वामी दयानंद से – स्वामी आर्यवेश

बरौनी (बेगूसराय) : आर्य महाकुंभ अभेदानंद आश्रम बारो में चल रहे आर्य समाज का 82वां चार दिवासीय वैदिक महासम्मेलन के तीसरे दिन सायंकाल सत्र में नई दिल्ली से पधारे अंतर्राष्ट्रीय वैदिक वक्ता स्वामी आर्यवेश जी महाराज ने कहा कि गृहस्थ आश्रम में माता-पिता के व्यवहार का असर बच्चों पर पड़ता है। कहा कि भारत में गौ को माता की तरह पूजा की जाती है। लेकिन कई हिस्सों में इसके मांस को खाकर भावना को ठेस पहुंचाया जाता है। वर्तमान समय में बच्चों में पश्चिमी सभ्यता का असर हो रहा है। खान-पान, रहन-सहन, सोच आदि विकसित हुआ है। आने वाले दिनों में अभिवावक को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम स्वामी दयानंद सरस्वती के सिद्धांतों का असर है।

  • कुरीतियों को दूर करने की प्रेरणा मिली स्वामी दयानंद से : स्वामी आर्यवेश
  • आर्य महाकुंभ का नजारा बना है बरौनी, गृहस्थ आश्रम को बताया सर्वश्रेष्ठ आश्रम
  • जीवन जीने की कला सिखाती है आर्य समाज

भ्रूण हत्या का विरोध करते हुए स्वामी दयानंद ने कहा था कि यह प्राण हत्या के समान है। संस्कार के अभाव में माता पिता व बच्चों का चरित्र अंग्रेजों के जैसी हो गयी है। गुरुकुल व्यवस्था में लोग जाना नहीं चाहते हैं। इसका असर सामने है। लड़के लड़कियां बचपन से ही स्वतंत्र दिखते हैं। माता पिता के सभी निर्णयों का विरोध किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद का सम्पूर्ण जीवन अनुकरणीय है। हरियाणा से आए वैदिक भजनोपदेशिका कुमारी अंजली आर्या ने कहा कि मरने के बाद स्वर्ग और नरक की कल्पना नहीं करनी चाहिए। सभी परिणाम इसी जीवन में मिलता है। भारत का संविधान योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, दहेज प्रथा, सतीप्रथा, बाल विवाह, भू्रणहत्या आदि की रोकथाम की ताकतें स्वामी दयानंद से ही मिली है। आर्य समाज जीवन जीने की कला बताती है। उन्होंने कहा कि जीवन को स्वर्ग बनाना चाहते हो तो पहले स्वयं से शुरू करो। घर के अंदर गृहस्थ जीवन में भाषण देने की नहीं आचरण, पवित्रता, विचार व्यवहार से परिवर्तन करने की जरूरत है। पटना से पधारे क्रन्तिकारी कवि आचार्य संजय सत्यर्थी ने अपने कविता से ज्वलंत समस्याओं के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाए। कुशल मंच संचालन आचार्य अरुण प्रकाश आर्य ने किया। अतिथियों ने उनके विद्वता की तारिफ किया। मौके पर जिलाध्यक्ष शिवजी आर्य, डा. अशोक कुमार गुप्ता, मंत्री रविन्द्र आर्य, भूदेव आर्य, रामदेव आर्य, कैलास पोद्दार, कृष्णनदंन राय, श्याम आर्य, राजन आर्य, राजेन्द्र आर्य, संतोष आर्य, सुशील राणा, अशोक प्रसाद, धर्मेंद्र आर्य, प्रेम कुमार आर्य, रंजीत लुहारुका, शिवशंकर आर्य आदि थे। पर्व त्योहार की तरह बारो में लोग जुटते हैं। देश के कई हिस्से में रहने वाले आर्य परिवारों का आगमन आर्य समाज के वार्षिक महोत्सव में होता है। यहां की यह परंपरा बनी हुई है। आर्य समाज के वार्षिक अधिवेशन को लेकर बारो में महाकुंभ का नजारा बना रहता है। वैदिक पताका से पूरे संपर्क पथ व बाजार को सुसज्जित किया जाता है। चारां ओर वैदिक मंत्रोच्चारण से गुंजायमान रहता है।

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