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इटावा:अधीक्षक की कड़ी मेहनत के बाद राजपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों को मिल रही राहत

डॉ.एस.बी.एस.चौहान,ब्यूरो इटावा

राजपुर,इटावा।स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों को मिल रही है राहत। अधीक्षक की मंशा है हर दुखी और पीड़ित को शासन की मंशा के अनुरूप मिले राहत। वीते दिवस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे पत्रकार टीम ने पड़ताल के दौरान पाया की मरीजों को वह दबाएं जो स्टोर में उपलब्ध है बिना किसी सौदेबाजी के मरीजों के पास तक पहुंचाई जाए। इसके लिए अधीक्षक भरसक कोशिश में लगे रहते हैं। यहां पर एक बात देखने को यह मिली की किसी भी कार्य के लिए जनहित में युवा अधीक्षक स्वतः कुर्सी छोड़कर उस कार्य में जुड़ जाते हैं कि जिससे जनहित, जन कल्याण हो सके। जब इस संबंध में साथी पत्रकारों ने यह कहते हुए कि एक घंटी के सहारे अपने सहायक को बुलाकर कार्य संपादित करने में ज्यादा अच्छा रहेगा तो मुस्कुराते हुए युवा अधीक्षक नें कहा कि “जब तक बेल बजाई जाएगी सहायक आएगा तब तक मैं खुद ही चल कर उस कार्य को संपादित कर लेता हूं क्या फर्क पड़ता है” अधीक्षक ने बताया कि हमारा सहयोगी स्टाफ जो भी कार्य करता है मैं उसका निरीक्षण जरूर करता हूं और यह ध्यान रखता हूं कि यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाले किसी भी मरीज को कहीं भटकना ना पड़े और उसे शासन और प्रशासन की मंशा के अनुरूप पूर्ण लाभ प्राप्त हो। संविदा पर कार्य कर रही प्रियंका ने बताया कि हम और हमारे समस्त स्टाफ की यही एक भावना रहती है कि दुखी पीड़ित आए हुए मरीज को हमारे द्वारा समुचित व्यवस्था प्राप्त होते हुए स्वास्थ्य लाभ दिया जा सके। इसके लिए हमारे अधीक्षक महोदय दिन-रात कार्य में जुटे रहते हैं और हम स्टाफ को समय समय पर उचित मार्गदर्शन भी देते रहते हैं । जो एक सराहनीय कार्य है।

पड़ताल करने गई पत्रकार टीम ने उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीरेंद्र सिंह का ध्यान यहां की व्यवस्था को बनाने के लिए आकर्षित किया है कि यहां पर स्थानीय प्रशासन की यह मदद करें कि बाहर ग्राउंड में जो भी बाहन आते हैं वह बेतरतीब तरीके से खड़े होते हैं जबकि इन्हें तरीके से और साइट पर खड़ा किया जाना अनिवार्य है। यह उद्दंडता एंबुलेंस के ड्राइवर भी करते हैं और जो प्राइवेट वाहनों से मरीज आते हैं वह भी बेतरतीब तरीके से खड़े होते हैं। कभी-कभी तो स्वास्थ्य सेवा पाने के लिए खड़े वाहनों की वजह से दिक्कत आने पर मरीज स्वतंत्र रूप से अस्पताल के अंदर प्रवेश भी नहीं कर पाते। फिर जो महिला प्रसव की पीड़ा झेल रही होती है उसके लिए तो यह एक क्षण भी मुसीबतों से खाली नहीं होता इसके लिए डिप्टी सीएमओ को इस व्यवस्था के तहत अपनी कड़ी नजर का इजहार करते हुए व्यवस्था को बनाने में सहयोग करना चाहिए।

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