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इटावा:पुलिस प्रशाशन के आदेश को ताख पर रख,अंधाधुंध ओवरलोड भर रहे सवारी

डॉ0.एस.बी.एस.चौहान।

चकरनगर,इटावा।नवागंतुक बरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इटावा के आदेश को ठेंगा दिखाकर अपनी मनमानी करते हुए थ्री व्हीलर चालकों का रुतबा कायम। उपलब्ध जानकारी के अनुसार लखना चकरनगर रोड पर और चकरनगर से भरेह रोड पर थ्री व्हीलर चालकों का साम्राज्य कायम है। जिसके चलते थ्री व्हीलर चालक अपनी मनमानी पर तुले हुए हैं इनकी कार्य शैली को देखते हुए मीडिया ने स्थानीय पुलिस प्रशासन की जानकारी जिला प्रशासन को सोशल मीडिया और समाचार पत्रों के माध्यम से कराई जिस पर संज्ञान लेते हुए नऐ वरिष्ठ पुलिस कप्तान महोदय ने कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाए रखने के लिए हर वाहन को खासकर थ्री व्हीलर वाहनों को चेक कर कमियां पाए जाने पर या नियम विरुद्ध चलने पर उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही के आदेश दिए गए(ऐसा सूत्रों के माध्यम से पता चला है)। यह आदेश धरातल पर है या हवा-हवाई है और यदि धरातल पर है तो मनमानी चाल से चलने वाले थ्री व्हीलर चालकों ने आदेश को ठेंगा दिखाते हुए सवारियों का ठूंस-ठूंस कर भरना और फर्राटे से चलना यह इनकी आदत में शुमार हो गया है। आज भी कई 3 ब्हीलरों को देखा गया कि क्षमता से ज्यादा सवारियां लादकर विना स्पष्ट नम्बर प्लेट लगाए फर्राटे भरते हुए नजर आए। तहसील प्रशासन ने तो मानो इन ओवरलोड सवारी वाहनों पर कोई भी कार्यवाही ना करने की कसम खा ली हो जिसके चलते थ्री व्हीलर चालक अपनी मनमानी से सवारियों को भरकर गंतव्य स्थान तक पहुंच गए तो भगवान भरोसे और नहीं पहुंचे तो रास्ते में ही ले डूबे। फिर पुलिस प्रशासन से लेकर तहसील प्रशासन या जिला प्रशासन अपनी नैतिक जिम्मेदारी लेटलतीफ निभाता हुआ कोरम पूरा कर हाथ डालकर चुपचाप कुर्सी पर बैठ जाता है। यही ड्राइवर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इटावा के आदेश को ठेंगा दिखा कर अपनी मनमानी करते हुए खरगोश चाल चल रहे हैं। यहां यह कह देना कोई अतिश्योक्ति पूर्ण न होगा कि यदि यही हालात रहे तो ध्यान आता है भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा शासन का कि जब परिवार नियोजन पर जोर दिया गया और इस पुलिस प्रशासन के जुम्मे यह करते हुए कि यदि नसबंदी के केस न दिए गए तो वेतन रोक दिया जाएगा। फिर क्या पुलिस प्रशासन ने जमकर किसानों को, राहगीरों को पकड़ पकड़ कर व गरीब लोगों के जीवन में तबाही मचा दी समय वह हुआ कि सरकार को तख्तापलट किया गया। इंदिरा गांधी को उस शासनकाल पर हिटलरशाही की याद आ गई। उस हिटलरशाही से आज कहीं कमोबेश नजर नहीं आ रहा है ठीक वही नजारा सामने आ रहा है कि पुलिस प्रशासन को योगी सरकार में वह स्वतंत्र अधिकार दे दिए गए हैं कि पुलिस बेखौफ होकर मनचाहा लालफीताशाही के तहत करने पर आमादा है। यह पुलिस किसी नेता की भी सुनने वाली नहीं यहां तक कि सत्ताधारी नेताओं को पुलिस तहसील सभागार जैसे कार्यक्रमों में निवेदन करना भी जुर्म हो गया और हाथ पकड़ कर जिले के वरिष्ठ पदाधिकारियों को निकालकर बाहर कर दिया गया। यह किसी से छुपा नहीं है सर्वविदित है लेकिन इस नेता ने अपने वरिष्ठ नेताओं से सब कुछ कह डाला पर कहीं किसी अधिकारी और नेता के कान पर जूं नहीं रेंगी और मायूस नेता मन से क्षुब्ध होकर शासन की नीतियों से भले ही विरोध ना करें लेकिन उसकी आत्मा को टटोला जाए तो शायद पीड़ा के स्वर गुनगुनाते हुए जरूर नजर आएंगे। यदि स्वतंत्र कार्य करने के लिए पुलिस को ऐसी ही इजाजत रही तो यह गरीब जनता सन 19 के चुनाव में अपना प्रतिरोध जरुर व्यक्त करेगी जिसका खामियाजा शासन को उठाने के लिए मोहताज होना पड़ सकता है।

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