डॉ.एस.बी.एस. चौहान,ब्यूरो इटावा
इटावा,। हमारे जिले की मुखिया सेल्वा कुमारी जे दिन व रात स्वच्छता अभियान के तहत नाना प्रकार के क्रियान्वयन कर सरकार की मंशा को साकार रुप देना चाहतीं हैं लेकिन उनके मातहत कर्मचारी अधिकारी सरकार की और जिलाधिकारी के स्वच्छता मिशन के तहत किस तरीके से पलीता लगाते हैं इसके लिए चकरनगर तहसील के नजदीकी स्थापित उप कोषाधिकारी /ट्रेजरी ऑफिस में आकर देखा जा सकता है। बताते चलें उप कोषाधिकारी चकरनगर की इमारत तहसील मुख्यालय से थोड़ा सा हट के सड़क के पल्ली तरफ स्थापित है जहां पर हमारे संवाददाता ने उस स्थिति में जाकर देखा की तहसील चकरनगर के अंतर्गत 20 दिन से स्टांप बिल्कुल गायब थे कोई भी स्टांप लेने के लिए तहसील भरथना जाना पड़ता था या फिर यहां के कुछ चोर विक्रेताओं से ओवर रेट देकर खरीदने पर ग्राहक मजबूर होता था।
जब इस समस्या की जानकारी मिली तो तहसील से पता करने के बाद उप कोषाधिकारी चकरनगर के कार्यालय से जानकारी हासिल की जहां पर सिर्फ दो बाबू बैठे हुए थे कुर्सियां फर्नीचर के बुरे हाल थे जगह जगह पर कचरा स्थापित था। जब स्टांप के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि “सर” स्टांप की कमी नहीं है पर डबल लॉक में रखे हुए हैं जब तक तहसीलदार महोदय नहीं आते हैं तब तक निकाल पाना संभव नहीं होगा क्योंकि एक चाबी कोषाधिकारी विभाग के पास है तो दूसरी चाबी तहसीलदार महोदय चकरनगर के पास है। तहसीलदार चकरनगर ट्रांसफर या प्रशासनिक कमियों के चलते एक लंबे समय से कुर्सी खाली है। इसलिए स्टांप नहीं निकाले जा सके और इन स्टांप की ब्लैकमेलिंग बुरी तरह से तहसील चकरनगर के कंपाउंड में चल रही थी। जब इस संबंध में नवागंतुक तहसीलदार नरेंद्र जी से बात की गई तो उन्होंने इस जटिल समस्या पर फौरी तौर पर कार्रवाई करते हुए 2 मिनट के अंदर सारी जानकारी हासिल की लेकिन चाबी मुहैया ना होने के कारण तहसीलदार महोदय स्टाम्प निकालने में लाचार हो गए लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले दिन तहसील में स्टांप मुहैया होगा और यदि कहीं ब्लैक में स्टांप बेचा जा रहा है तो उसकी सूचना लिखित तौर पर मुझे मिले तो मैं उसके खिलाफ सख्त विधिक कार्यवाही करने में कतई पीछे नहीं हटूंगा। इस कार्यवाही के लिए पत्रकारों के बीच तहसीलदार महोदय ने बताया कि यह तहसील आम जनता के आराम और सुविधाओं के लिए स्थापित की गई है और यहां का उपभोक्ता परेशान है तो इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है। उन्होंने कोषाधिकारी कार्यालय में तैनात दोनों को बाबूओं को बुलाकर कोषागार की जानकारी हासिल की उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि लॉकर में स्टाम्प हैं और कल उसे आम जनता के बीच वेंडरों के माध्यम से मुहैया कराया जाएगा। उपस्थित कोषाधिकारी कार्यालय में बाबुओं ने बताया यहां पर 4 साल पहले से विद्युत का कनेक्शन कटा हुआ है हम लोग इस भीषण गर्मी में पसीना बहाते हुए एन केन प्रकारेण अपना कार्य कर रहे हैं लेकिन यहां पर न फर्नीचर है ना कोई विद्युत की व्यवस्था है ना ही कोई सफाई कर्मचारी है। कभी कभार हम लोग झाड़ू लेकर कोषाधिकारी कार्यालय की सफाई करते हैं। जब विद्युत कनेक्शन के बारे में पूछा गया तो बाबू ने बताया कि कुछ बकाया राशि है इस वजह से विद्युत विभाग नें यहां से विद्युत कनेक्शन को ही काट दिया है।
अब बिचारणीय तो यह है कि यही बकाया थानाध्यक्षों पर भी तो है लेकिन उनके कनेक्शनों को काटने की औकात विद्युत विभाग की नहीं है। कोषाधिकारी कार्यालय की लाइन काट देना एक जनरल बात हो गई इससे बाबुओं को ही परेशानी नहीं बल्कि आने जाने वाले लोगों को भी भारी परेशानी है। यदि प्रशासन ने समय रहते ध्यान ना दिया तो यह उप कोषाधिकारी कंपाउंड धराशाही ही नहीं होगा बल्कि यह बूचड़खाने की तरह दिखाई देने लगेगा। यहां पर चारों तरफ कचरा ही कचरा और गंदगी ही दिखाई देती है। इस इमारत की रंगाई पुताई शायद ही कभी हुई हो। भला माना जा रहा है कि यह लक्ष्मी जी के बैठने का स्थान है जब वहां पर ही गंदगी दहाड़ रही हो, अंधेरा छाया हुआ हो, तो लक्ष्मी तो साफ-सुथरी जगह पर बैठती है ऐसी जगह पर जाने का मन भी नहीं करेगी। यहां की दीवारें, फर्नीचर, विद्युत की फिटिंग रो-रो कर सब अपना बुरा हाल बखान कर रही है। इसलिए संबंधित अधिकारियों को इस पर गौर करना चाहिए और फिर यहां के यदि तहसील प्रशासन पर ध्यान दिया जाए तो हमारा तहसील प्रशासन अपनी ही ब्यवस्था को नहीं संभाल पाता कोषाधिकारी कार्यालय को भला कौन देखेगा।