डॉ.एस.बी.एस.चौहान
चकरनगर (इटावा)। राशन डीलर से संबंधित तहसील चकरनगर का दफ्तर शिकायतों से पटा पड़ा हुआ है कभी कबार किसी प्रार्थना पत्र पर हल्का पूरा संज्ञान ले लिया जाता है मूल रूप से 90 परसेंट शिकायतों को दाम के दम पर दवा दिया जाता है यह कोई अनहोना खेल नहीं कहा जा सकता। उपलब्ध जानकारी के अनुसार तहसील क्षेत्र के अंतर्गत तमाम राशन डीलरों की शिकायतें एक और 2-4 की संख्या में नहीं दर्जनों की संख्या में तहसील के दफ्तरों में दी जाती हैं इनसे दफ्तर दवा पड़ा हुआ है। हां इतना जरूर है कि यह शिकायत और फिर इसे दबाने के लिए धन की आयत बलवती होती है इसी प्रकरण में श्रीमती राधा देवी पत्नी किशन सिंह व श्रीमती रमा देवी पत्नी बलराम सिंह नवादा खुर्द कला विकासखंड महेवा ने एक प्रार्थना पत्र 9 अप्रैल को जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय इटावा और जिलाधिकारी महोदय इटावा के दफ्तरों में दर्ज कराते हुए अवगत कराया कि नवादा खुर्द कला के निवासी तथा कार्डधारक प्रार्थी कार्ड संख्या 2161 40 28103 21140 2772 66 है जो राशन डीलर वीरेंद्र सिंह के द्वारा बताया गया कि आपका राशन कार्ड निरस्त हो गया है जबकि इन्हीं नंबरों पर अन्य को राशन दिया जा रहा है प्रार्थी ने अपने दिए प्रार्थना पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि प्रार्थी अत्यंत गरीब है। ऐसी स्थिति में प्रार्थी को डीलर द्वारा राशन वितरित संबंधित आदेश पारित करने की कृपा करें। इतना ही नहीं प्रार्थी गण यह बताते हैं कि तहसील दिवस और तहसील कार्यालय में कई बार प्रार्थना पत्र दिए गए जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो आज यह प्रार्थना पत्र जिला स्तर पर दिया जा रहा है इसके बाद दूसरा प्रार्थना पत्र लोकेंद्र सिंह पुत्र रघुवीर सिंह निवासी खुर्द कला विकासखंड महेवा ने जिलाधिकारी महोदय इटावा को प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया कि ग्राम नवादा खुर्द कला का राशन विक्रेता पूरन सिंह ठीक समय पर दुकान नहीं खोलता है और उपभोक्ताओं को गाली गलौज कर अभद्रता पूर्वक व्यवहार करता है। घटतौली उसकी आदत में शुमार है इस संबंध में कई प्रार्थना पत्र दिए गए लेकिन आज तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसलिए जिले पर प्रार्थना पत्र देने आया हूं। यह हालात है राशन डीलरों के लेकिन तहसील प्रशासन ने लगता है हर उल्टा-सीधा कार्य करने के लिए मानो छूट दे रखी हो। इसलिए दुखी और क्रोध में तिलमिलाए पीड़ित कहीं प्रार्थना पत्र तहसील में देते हैं तो कहीं जिले पर लेकिन कार्यवाही का स्तर वही ढाक के तीन पात ही होकर रह जाती है।