डॉ.एस.बी.एस.चौहान।
चकरनगर,इटावा।”एक नारी सदा ब्रतधारी” पर व्याख्यान करते हुए भागवताचार्य डॉक्टर ओम प्रकाश शास्त्री प्राचार्य पुरुषोत्तम संस्कृत महाविद्यालय दंदरौआ भिंड मध्य प्रदेश के द्वारा मेघनाद और लक्ष्मण दो वीर योद्धाओं की चर्चा करते हुए बहुत बड़ा प्रकाश श्रोताओं के बीच में डाला गया। सरस कथा वचक डाक्टर शास्त्री के द्वारा श्री हनुमान जी मंदिर हटिया सरकार गौहनी खिरीटी के पूज्य स्थान पर श्रीमद् राम कथा एवं श्री हनुमंत लाल जी की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 महंत श्री लाल दास जी बेरागी की देखरेख में श्री हनुमान जी मंदिर अटिया सरकार गौहनी खरीटी पर चल रहे प्रवचन के दौरान कहे गए जिसमें प्रख्यात व्यास डॉक्टर शास्त्री ने अपने श्रद्धालु भक्तों के बीच मेघनाद और लक्ष्मण दोनों वीर योद्धाओं की शक्ति पराक्रम और उनके युद्धाभ्यास के ऊपर बहुत बड़ा व्याख्यान दिया इस व्याख्यान के दौरान उन्होंने बताया की मेघनाद भी शेषा अवतारी था और भगवान श्री राम के लघु भ्राता लक्ष्मण जी जी शेषा अवतारी थे दोनों महाशक्ति के रुप थे इनकी शक्ति की तुलना या मापदंड नहीं बताया जा सकता लेकिन यह बात जरूर कही जा सकती है कि दोनों योद्धा थे जिस वक्त अस्त्र शस्त्र से लड़ते-लड़ते दोनों क्रोध में भावावेश होकर अपने आयुधों को छोड़कर मल्ल युद्ध करने लगे जिस पर मेघनाद ने अपनी कमजोरी का एहसास किया कि आखिर लक्ष्मण कोई बहुत छोटी शक्ति नहीं है यह अगाध शक्ति का वीर योद्धा है जो मेरी भुजाओं को मसले और तोड़े डाल रहा है इस पर डॉ व्यास ने बताया कि यहां पर हम जो चर्चा करना चाहते हैं सभी को इस बात की शिक्षा लेनी चाहिए कि नारी हमारे देश की सबसे बड़ी शक्ति है इसकी पूजा होनी चाहिए और पूरा सम्मान होना चाहिए जो व्यक्ति या जिस घर में नारी का सम्मान है नारी की पूजा होती है वह घर आज भी सुखी संपन्न होगा क्लेश बहुत कम होगा शांति और विकास की स्थिति बहुत सुंदर होगी जहां पर नारी का अपमान है जिस घर में औरत को हीन भाव हीन दृष्टि से देखा जाता है या उसे दुखी रखा जाता है वह घर वह परिवार विकास के मार्ग पर अग्रसर नहीं होगा और दरिद्रता उसके घर में ठूंस ठूंस कर भरी होगी क्योंकि जिस वकत् मेघनाद और लक्ष्मण जी आपस में मल युद्ध कर रहे थे तो लक्ष्मण की तरफ से पहले तो खुद की शक्ति थी खुद का व्रत था दूसरा उनकी पत्नी सती उर्मिला की भी सकती थी भगवान राम की कृपा थी तीन तीन शक्तियां काम कर रही थी और मेघनाद की तरफ सिर्फ उसकी पत्नी की शक्ति थी। मेघनाद को ताकत दे रही थी और उस शक्ति के चलते भगवान का भी सिंहासन हिल उठा था भगवान को भी सोचना पड़ा था कि आखिर आप इन दोनों महान योद्धाओं के बीच में निर्णय किस पाले में डाला जाए क्योंकि लक्ष्मण भी एक नारी सदा वृतधारी थे मेघनाथ भी एक नारी सदा व्रतधारी था जबकि वह राक्षस परिवार में पैदा होकर भी।
राक्षस परिवार में रावण आतताई था और भी राक्षस आतताई थे लेकिन मेघनाद सदैव एक नारी सदा वृतधारी रहा जिसमें भगवान श्री राम के अनुज लक्ष्मण को भी युद्ध में छक्के छुड़ा दिए और अपने वीर पराक्रम के चलते उन्हें बंधक बनाया। यहां पर महामंडलेश्वर महंत श्री लाल दास जी बेरागी ने बताया कि हमारा कार्यक्रम पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार गुरु जी की चलते महान कृपा और दंदरौआ सरकार के आशीर्वाद से 31 जनवरी दिन बुधवार को शुरू हुआ था जिसमें 7 फरवरी को श्री हनुमंत लाल जी की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की गई और श्री राम कथा पर प्रवचन विधिवत चलते हुए 8 फरवरी तक का कार्यक्रम है और 9 फरवरी दिन शुक्रवार को हवन पूजन पूर्णाहुति के साथ संत जनों का भंडारा भी आयोजित किया जा रहा है जिसने श्री नरसिंह मंदिर गौहनी के पुजारी श्री संजय दास जी कार्यक्रम की देखरेख में व्यवस्थापक बनाए गए हैं और वैरागी जी ने श्री श्री 108 स्वामी आत्मानंद जी महाराज गुरु भगवान की इस कार्यक्रम में विशेष कृपा बताई कि उनके ही आशीर्वाद से यह कार्यक्रम बड़े कार्यक्रम के रूप में संपन्नता की ओर जा चुका है प्रसन्न मुद्रा में संत ने बताया कि भंडारे में प्रसादी पाने के लिए सभी को आना आवश्यक है इस प्रसादी से आत्मा की शुद्धता और मन को शांति मिलेगी ऐसी ब्रह्मलीन स्वामी आत्मानंद जी महाराज का स्वप्न में निर्देश था।