डेस्क : देश की राजधानी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन का वेट प्रेशर इस कदर बढ़ा कि सैकड़ों लोगों को ट्रेन से खींचकर बाहर निकालना पड़ा. आलम यह था कि आरपीएफ के जवान एक तरफ ट्रेन की जनरल बोगी से खींच-खींच कर लोगों को बाहर निकाल रहे थे, वहीं दूसरी तरह रेलवे स्टॉफ बार-बार बोगियों का प्रेशर चेक कर रहे थे. इस नजारे को देखकर बिल्कुल ऐसा लग रहा था जैसे पंसारी की दुकान में टंगे तराजू से किसी सामान और भार का मिलान किया जा रहा हो. मुसाफिरों के भार और प्रेशर के तौल की यह कवायद करीब पौने दो घंटे तक चली. प्रेशर सामान्य होने पर रेलवे स्टाफ ने आरपीएफ के जवानों को इशारा किया कि अब लोगों को बाहर निकालना बंद करो, जिसके बाद इस ट्रेन को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पटना के लिए रवाना कर दिया गया.
रेलवे सूत्रों के अनुसार यह वाकया मंगलवार शाम की है. दरअसल, मंगलवार शाम दिल्ली से पटना के बीच चलने वाली संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस (12394) शाम 5.25 बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पटना के राजेंद्र नगर टर्मिनल के लिए रवाना होती है. यात्री आम बोलचाल में संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस को जूनियर राजधानी भी कहते हैं. बिहार जाने वाली लगभग सभी ट्रेनों के देरी से चलने की वजह से सैकड़ों की संख्या में यात्री इस ट्रेन की जनरल बोगियों में सवार हो गए. ट्रेन के रवाना होने से पहले रेलवे स्टॉफ ने रूटीन जांच के तहत ट्रेन के बोगियों का वेट प्रेशर जांचना शुरू किया. जांच में पता चला कि अत्यधिक भीड़ होने की वजह से ट्रेन का वेट प्रेशर बहुत बढ़ गया है और स्प्रिंग पूरी तरह से दब चुकी हैं. यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेलवे अधिकारियों ने ट्रेन को आगे भेजने से मना कर दिया.
यात्रियों की ना-नुकर के बाद बुलाना पड़े RPF के जवान
सूत्रों के अनुसार ट्रेन की बोगियों का वेट प्रेशर बढ़ने के चलते रेलवे ने पहले पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम के जरिए यात्रियों से बोगियों को खाली करने के लिए कहा गया. मौके पर मौजूद रेलवे स्टॉफ भी लगातार मुसाफिरों को समझाकर ट्रेन से उतारने की कोशिश करता रहे. इस दौरान सभी यात्री यह तो चाहते थे कि ट्रेन से कुछ लोगों को उतरना चाहिए, लेकिन वह खुद ट्रेन से उतरना नहीं चाहते थे. मजबूरन रेलवे को सुरक्षा बल आरपीएफ का सहारा लेना पड़ा.
मौके पर पहुंची आरपीएफ की टीम ने करीब 100 से 115 लोगों को ट्रेन से बाहर निकाला. इस पूरी कवायद में करीब पौने दो घंटे का समय लग गया. मंगलवार को यह ट्रेन अपने निर्धारित समय से करीब 1.50 घंटे की देरी से रवाना हो सकी.
ट्रेन को आगे भेजना यात्रियों की सुरक्षा के लिए बन सकती थी खतरा
रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नितिन चौधरी के अनुसार अत्यधिक वेट प्रेशर के साथ ट्रेन को आगे भेजने का जोखिम सीधे तौर पर सभी यात्रियों की सुरक्षा से समझौता होता. मुसाफिरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने ट्रेन को आगे न भेजने और अतिरिक्त मुसाफिरों को ट्रेन से बाहर निकालने का फैसला किया.
क्या रही तकनीकी वजह और क्या हो सकता था परिणाम ?
संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस से जबरन मुसाफिरों को बाहर निकालने की घटना के बाद यह सवाल उठता है कि ऐसी कौन सी वजह हैं, जिनके चलते रेलवे को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. आइए हम आपको बताते हैं कि ट्रेन में अत्यधिक मुसाफिरों की मौजूदगी की वजह से उत्पन्न हुए वेट प्रेशर से किस तरह के खतरों की आशंका प्रबल हो जाती हैं. दरअसल रेलवे में लगातार हो रहे हादसों से सबक लेते हुए रेलवे प्रबंधन कोई भी ऐसा जोखिम नहीं लेना चाहता है. जिसके चलते सफर के बीच में ट्रेन हादसे का शिकार हो और मुसाफिरों की जान पर बन आए.
ट्रेन की जनरल कोच की छमता अधिकतम 100 यात्रियों की
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ट्रेन के जनरल कोच की छमता 90 से 100 मुसाफिरों के बीच होती है. कोच में इस संख्या से अधिक मुसाफिरों के सवार होने के बाद कुद एहतियाती कदम उठाना आवश्यक हो जाता है. ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर बोगी का वेट प्रेशर, पहियों के साथ लगे स्प्रिंग की स्थिति, ब्रेक प्रेशर सहित अन्य पहलुओं पर स्टेशन दर स्टेशन जांच की जाती है. यदि स्प्रिंग पर दबाव बहुत अधिक हुआ तो पूरी ट्रेन के लिए खतरे की आशंका उत्पन्न हो जाती है. लिहाजा, किसी तरह को जोखिम लेने की बजाय रेलवे मुसाफिरों को ट्रेन से उतारना बेहतर मानती है.
स्प्रिंग टूटने पर ट्रेन के डिरेल होने का बना रहता है खतरा
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सामान्य तौर पर कोशिश की जाती है कि जनरल कोच में 100 से अधिक यात्री सवार न हों. लेकिन ट्रेन विभिन्न स्टेशनों पर रुकते हुए चलती है, लिहाजा अन्य स्टेशनों पर लगातार मुसाफिरों के चढने और उतरने का सिलसिला जारी रहता है. कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं कि बोगी में एक साथ 200 से 250 यात्री सवार हो जाते हैं. जिसके बाद रेलवे एहतियाती कदम उठाना शुरू कर देता है. ऐसा नहीं किया गया तो रास्ते में कभी भी कोच के पहियों के साथ लगे स्प्रिंग टूट सकते हैं और पूरी ट्रेन डिरेल हो सकती है. मसलन महज 100 यात्रियों की सुविधा-असुविधा के चलते ट्रेन में मौजूद हजारों यात्रियों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाला जा सकता है.