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बिहार :: जिंदगी की मैराथन में हार चुका, विदेशियों के सामने हाथ फैलाने को है मजबूर रमेश कुमार

अजय कुमारग- गया : जिंदगी की मैराथन में हार चुका रमेश कुमार मैराथन खेल में भाग लेने के लिए बोधगया में विदेशियों के सामने हाथ फैलाने को है मजबूर , पिछले कई दिनों से बोधगया में माँग रहा है भीख ,देश के लिए मैराथन में मेडल का सपना लिए लोगो के सामने फैला रहा है हाथ।गले में मैराथन मेडल ,छाती पर मैराथन दौड़ का नंबर ,पीठ पर खेल से जुड़े दस्तावेज ,एक हाथ में प्लीज हेल्प मी मैराथन प्लेयर की तख्ती और दूसरा हाथ से भीख माँग रहा है रमेश , मेडल लेने के लिए हाथ आगे रखने वाले रमेश आज गुजर बसर करने और खेल में भाग लेने के लिए माँग रहा है भीख। गया के परैया गांव का रहने वाला रमेश देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित दर्जनों मैराथन में अपना स्थान हासिल करने वाले रमेश कुमार आज अपनी जिंदगी की रेस में हार चूका है भले ही वह जिंदगी की रेस में हार चुका हो लेकिन जज्बा देश के लिए मेडल जितने का हौसला आज भी बुलंद है इसी सपने को पंख लगाने के लिए आज मांग रहा है भीख। रमेश बचपन से मैराथन में दौड़ने का जूनून जागा और यह इस तरह मैराथन की दौड़ में दौड़ता गया की आज जिंदगी के मैराथन दौड़ पर रोक लगा दी है। वह इस तरह मैराथन में डूब चुका है की वह निजी जिंदगी में वह आज भी अकेला है। उसने शादी करने की भी नहीं सोची सिर्फ सिर्फ दौड़ता गया ,जंहा कंही भी मैराथन खेल आयोजित होने की सुचना मिलती है वह उस खेल में भाग लेने जरूर जाता था। सबसे पहले महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित मैराथन में उन्होंने 2003 में ,2006 में दशवें ओपन बिहार सीनियर एथलेटिक चौम्पियनशिप ,2007 में दिल्ली मैराथन ,2008 में दिल्ली मैराथन ,2015 में नासिक का आत्या पात्या मैराथन ,2016 में चौथे राष्ट्रीय ड्राप बॉल चौम्पियनशिप सहित कई मैराथन में भाग ले चूका है। आज रमेश कुमार की माली हालत यह है की मैराथन खिलाड़ी खाने खाने को मोहताज है भले ही वह भूखे पेट हो लेकिन सोंच देश के लिए मैराथन में मेडल जितना है। एैसी स्थिति हो गयी है की वह अपनी भूख मिटाने और कोलकाता में फरवरी में आयोजित मैराथन खेल में भाग लेने के लिए उसके पास पैसे नहीं इसके पहले भी वह अपने गॉव परैया में लोगो से पैसे मांग कर कई मैराथन में भाग ले चुका है लेकिन आखिर गॉव के लोग भी कब तक उसका साथ दे ,कोलकाता में आयोजित मैराथन में भाग लेने के लिए जूते ,ड्रेस और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फीस के लिए वह विदेशियों के सामने हाथ फैला कर भीख माँग रहा है तो कभी कभी लोगो को बताते रो पड़ता है।उसने बताया की अब उसके साथ जितने भी खिलाड़ी थे सभी का स्पोर्ट कोटे से नौकरी लग गयी कई बार अधिकारियो को आवेदन भी दिया सुचना के अधिकार के तहत कई जानकारियाँ भी ली लेकिन कुछ भी नहीं हो पाया।

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