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बीजेपी अपनी कमियां छिपाने के लिए बसपा के खिलाफ भ्रामक प्रचार कर रही है: मायावती

लखनऊ,ब्यूरो:राज प्रताप सिंह

राजधानी।बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह अपनी कमियों को छिपाने के लिए उनकी सरकार के दौरान दिए गए आदेशों को लेकर भ्रामक प्रचार कर रही है।मायावती ने गुरुवार को कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियत 1989 के संबंध में पिछले महीने सुप्रीम को 20 मार्च को आए दिए गए आदेश के बाद देश भर में व्यापाक प्रतिक्रियाएं हुईं।विशेषकर एससी, एसटी के लोगों में आक्रोश व्याप्त हुआ है।इस संबंध में केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा समय पर कोई प्रभावी कार्यवाही न किए जाने के कारण इस वर्ग ने 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वन किया गया।

मायावती ने कहा कि बंद के दौरान बीजेपी शासित राज्यों में प्रशासनिक व पुलिस अव्यवस्थाओं के कारण गैर आन्दोलनकारियों और असामाजिक तत्वों द्वारा बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और हिंसक घटनाएं की गई।अब अपनी कमियों को छिाने के लिए बसपा को बदनाम करने के लिए साजिश के तहत बीेजपी गलत प्रचारित कर रही है।वह कह रही है कि एससी एसटी एक्ट को बसपा शासनकाल में शिथिल किया गया था।वह बसपा सरकार के 20 मई 2007 और 29 अक्टूबर 2007 के आदेशों को दिखाकर मीडिया में भ्रामक व गलत प्रचार कर रही है कि बसपा ने जब इस एक्ट के दुरुपयोग रोकने के लिए आदेश दिए थे तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध क्यों हो रहा है? बसपा इस मामले में दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है?

उन्होंने कहा कि सही तथ्य ये है कि बसपा के यूपी में चारों शासनकाल के दौरान सभी विरोधी पार्टियों ने ये प्रचारित किया कि गैर दलित व खासकर सवर्ण जातियों का एससी एसटी एक्ट की आड़ में उत्पीड़न किया जाता है।मायावती ने कहा कि इन्हीं गलत आरोपों को ध्यान में रखते हुए 2007 में बसपा सरकार बनने के बाद 20 मई को आदेश जारी किया गया था।जिसमें पुलिस अधिकारियों को प्रदेश में कानून व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए निर्देश दिए गए थे।

मायावती ने कहा कि उस आदेश के पैरा 18 में कहा गया कि कभी-कभी दबंग किस्म के लोग अपनी आपसी वैमनस्यता के कारण प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर एससी व एसटी वर्ग के व्यक्ति को मोहरा बनाकर झूठे मुकदमे दर्ज करा देते हैं।इसलिए ऐसे मामलों में अविलम्ब सत्यता जांच की जाए और मुकदमा दर्ज किया जाए।

उन्होंने कहा कि यह भी कहा गया था कि सभी प्रकार के गंभीर मामलों में एससी, एसटी कानून के तहत मुकदमे दर्ज किए जाएं।बलात्कार के मामलों में डॉक्टरी जांच के बाद ही एफआईआर दर्ज कर ली जाए।मायावती ने कहा कि इस आदेश के कुछ महीने बाद ही सामने आया कि इसका इस्तेमाल व दुरुपयोग किया जा रहा है,जिसके कारण एससी व एसटी के मामले दर्ज होने में काफी दिक्कते आ रह है।इसलिए नया आदेश 29 अक्टूबर 2007 को जारी किया गया।जिसमें डीजीपी सहित सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि प्रदेश में एससी एसटी एक्ट को पूरी तरह से अधिनियम की मूल भावनाओं के अनुरूप ही लागू किया जाए।इसमें यह भी व्यवस्था की गई कि हत्या एवं बलात्कार जैसे मामलों में एसपी रैंक के अधिकारी खुद इसका संज्ञान लेंगे और अपनी देखरेख में विवेचना करेंगे।

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