डेस्क : तूफान और बारिश को लेकर मौसम विभाग ने डरा देने वाली चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग (India Meteorological Department) ने शुक्रवार को चेतावनी जारी कर कहा है कि 5 से 7 मई के बीच कभी भी भयानक तूफान और तेज बारिश आ सकती है।
5 मई 2018: मौसम विभाग के अनुसार, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ इलाकों में लपक गरज के साथ तेज हवाएं चल सकती हैं। इसके अलावा देश के पूर्वी इलाकों जैसे- पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, नागालैंड, मनिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, ओडिशा और केरल में धूल भरी तेज आंधी और तेज बारिश होने की आशंका है।
7 मई 2018: मौसम विभाग के अनुसार, उत्तराखंड और पंजाब के कुछ हिस्सों में तेज आंधी, बारिश और बिजली कड़कने की आशंका है। देश के पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में भयंकर तूफान आने की आशंका है।
इसके अलावा, पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ में भी धूलभरी आंधी और लपक गरज के साथ बारिश होने की आशंका है। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में भी कुछ इलाकों में तेज आंधी और लपक गरज के साथ छीटे पड़ने की आशंका है। 7 मई को असम और मेघालय में भयंकर बारिश होने की आशंका है।
बुधवार के तूफान में गईं 118 से ज्यादा जान –
खबर है कि बुधवार को रात आए तूफान से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और बिहार में 118 से ज्यादा लोगों के मरने की खबर है। इस तूफान में सैकड़ों लोग घायल भी हुए हैं और हजारों पेड़ जड़ से उखड़ गए।
क्यों आता है तूफान ?
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो ठंडी हवाओं का तूफान का रूप लेने के पीछे वजह ‘डाउनबर्स्ट’ है, यानि हवा चलने के दौरान डाउनवर्ड एयर मूवमेंट उसे तूफान में तब्दील कर देता है। इस दौरान 100 किमी प्रति घंटे या उससे अधिक की रफ्तार से हवा चलती है। जब डाउनवर्ड हवा जमीन से टकराती है तो वह बाहर की तरफ धक्का मारती है। किसानों को अकसर इससे संघर्ष करते देखा गया है। हवा का यह मूवमेंट 200 मील तक रहता है।
हालांकि कुछ थोड़ी दूर में ही शांत हो जाती हैं। जो डाउनबर्स्ट ढाई मील से छोटे होते हैं उन्हें ‘माइक्रोबर्स्ट’ कहते हैं। इसमें हवा में मिट्टी का शामिल होना और बड़ी तबाही का कारण बनता है। ऐसा मंजर गर्म प्रदेशों में ज्यादा देखने को मिलता है, जहां का तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहता है। इस दौरान विजिबिलटी शून्य हो जाती है। आंखों से दिखना बंद हो जाता है। जब यह हवा किसी दीवार या इमारत से टकराती है तो उसके गिरने से तबाही का मंजर और भयावह हो जाता है।
क्लाइमेट चेंज वजह तो नहीं?
नेशनल जियोग्राफिक में छपी खबर के मुताबिक विज्ञानी बताते हैं कि मौसम में इस बदलाव का कारण जलवायु परिवर्तन (Climate change) है। ग्लेशियर का पिघलना, तपती धरती, समुद्र का उफनाना, जंगलों का कटना और बादलों का फटना जलवायु परिवर्तन का मूल संकेत हैं यानि वातावरण के साथ खिलवाड़ के कारण ये विपदाएं आ रही हैं। दुनिया में चक्रवात या तूफान की संख्या लगातार बढ़ रही है। अमेरिका और तटवर्ती देश साल में कई बार तूफान का प्रकोप झेलते हैं।