पंचायत सचिव और प्रधानों की मिलीभगत से शौचालय निर्माण में चल रहा आपसी खेल
रिपोर्टेर:देव यादव।
पंचायतों में बनाये जा रहे शौचालयों में बड़े स्तर पर हो रहे भर्ष्टाचार के कारण लाभार्थी अपने आपको ठगा महसूस कर रहे है। स्वच्छ भारत अभियान में अंतर्गत सरकार ने गाँवो को शौचमुक्त करने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा लगता नजर आ रहा है। भर्ष्टाचार के चलते ठेकेदारी प्रथा से बनाये जा रहे शौचालयों में रुपये बचाने के लालच में ठेकेदार दोयम दर्जे की पीली ईंट तथा दोयम दर्जे की अन्य सामग्री लगा रहे है।
विकास खण्ड की दर्जनों पंचायतों को शौचमुक्त करने की नीयत से शौचालयों का निर्माण करवाया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन योजन के अंतर्गत पंचायत मवई खुर्द , अकबरपुर,आदमपुर, बहिर, बड़खोरवा, पकराबाज़ार, करेन्द, सहित चौदह पंचायतों 2234 शौचालयों का निर्माण होना सुनिश्चित है। जिसके अंतर्गत दो करोड़ अस्सी लाख आठ हज़ार रुपये चौदह पंचायतों के खाता सिक्स में निर्गत किये गए । शौचालयों की धनराशि लाभार्थियों को छः हज़ार रुपये प्रथम तथा छः हजार रुपए द्वितीय क़िस्त के रूप में देना सुनिश्चित किया गया। मगर पंचायत सचिव और प्रधानों की मिलीभगत से शौचालय बनाने को ठेकेदारी प्रथा के सुपुर्द कर दिया गया। जिसके चलते ठेकेदार मनमानी करते हुए पीली ईंट और दोयम दर्जे की सामग्री लगाकर घटिया किस्म का शौचालय बना कर अधिक रुपये कमाने की जुगत में लगे है।
सचिव और प्रधान मिलकर चेक लाभार्थी के नाम काट तो देते है लेकिन लाभार्थी के भुगतान कराने के बाद ही ठेकेदार और लाभार्थी रकम वसूल लेते है।
ठेकेदारी प्रथा से बन रही नरायनपुर गांव में स्कूल की बाउंड्रीवाल बनते बनते जमीदोंज हो गयी थी। वही करेन्द पंचायत में दिन में बना शौचालय रात में भरभरा कर गिर गया था जो घटिया सामग्री लगाने का जीता जागता उदाहरण है।