रामकिशोर रावत
माल(लखनऊ) जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए विभिन्न योजनाओं में करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च कर रही है वही माल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टरों द्वारा मरीजों के पर्चे पर बाहर से दवा लिखकर सरकार की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर अनजान बन रहे है। माल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के लिए पहुंचे मरीज राजकिशोर को बुखार व पेट में दर्द होने की बात बताई जिस पर डॉक्टर द्वारा पर्चे पर बाहर से महगी दवा लिख दी अंदर दवा लेने के बाद डॉक्टर के पास पहुंच कर दिखाया तो डॉक्टर ने बाहर से दवा लेकर आने की बात कही। वही प्रेमा को भी लगभग 700 से अधिक रुपए की दवा बाहर से लिखी गई। यह तो सिर्फ नमूना है बाकी इन डॉक्टरों द्वारा दर्जनों मरीजों के पर्चे पर सैकड़ों रुपए की दवा बाहर से लिखी जा रही है। माल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने अवैध तरीके से खुले मेडिकल स्टोरों पर दर्जनों की संख्या में मेला लगा रहता है जिनके हाथ में सरकारी पर्चा व दवा किसी भी समय देखी जा सकती है।अपने कमीशन के चक्कर में मरीजों को बाहर से महंगी दवाइयां लिख कर अपनी जेब भरने में लगे हैं जबकि सरकार द्वारा मरीजों को बाहर से महगी दवा न लिखने के कड़े निर्देश देने के बाद भी माल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर बाहर से दवा लिखने में पीछे नहीं हटते देखे जा रहे हैं सबसे बड़ी बात तो यह है की डॉक्टर निगम की तैनाती हसनापुर पीएचसी पर होने के बाद भी इस डॉक्टर को माल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ओपीडी करते किसी भी समय देखा जा सकता है क्योंकि इस डॉक्टर द्वारा जितनी महंगी दवाइयां मरीजों को बाहर से लिखी जाएगी उतना ही अधिक कमीशन मिलता है और हसनापुर में फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा मरीजों का इलाज। डॉक्टर न होने से 7 किलोमीटर सफर तय करने के बाद माल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए मजबूरन आना पड़ता है यह सब खेल स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जानते हुए भी अनजान बने रहते हैं सूत्रों की माने तो इस डॉक्टर द्वारा भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को महीने में सुविधा शुल्क प्रदान किया जाता है जिसके चलते इस डॉक्टर के हौसले बुलंद होते देखे जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी निरीक्षण करने के दौरान ना ही इन डॉक्टरों को कौन कहां पर हो किसकी कर रहा है यह देखने का समय नहीं और ना ही मेडिकल स्टोरों पर मरीजों का लगा मेला दिखाई पड़ता है जिससे क्षेत्र की जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है और निराश होकर घर वापस जाकर और कम पैसे में वही झोलाछाप डॉक्टरों के यहां इलाज कराने को मजबूर रहते हैं ग्रामीण।