राज प्रताप सिंह,ब्यूरो लखनऊ
लखनऊ।विभागाध्यक्ष को पद सृजित करने से पहले मुख्यमंत्री का अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा। सीएम के अनुमोदन के बाद वित्त विभाग की अनुमति लेनी जरूरी होगी।जब वहां से हरी झंडी मिलेगी, तब जाकर विभागाध्यक्ष पद सृजित कर भर्ती कर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश में पद सृजन कर होने वाली भर्तियों पर रोक लग गई है।इस मतलब ये हुआ कि विभागाध्यक्ष जो पहले जरूरत के हिसाब से पद सृजित कर कुछ भर्तियां कर लेते थे, वह अब नहीं कर सकें।सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।आदेश में कहा गया है कि विभागाध्यक्ष को पद सृजित करने से पहले मुख्यमंत्री का अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा। सीएम के अनुमोदन के बाद वित्त विभाग की अनुमति लेनी जरूरी होगी।जब वहां से हरी झंडी मिलेगी, तब जाकर विभागाध्यक्ष पद सृजित कर भर्ती कर सकेंगे।
बता दें इससे पहले योगी सरकार ने बुधवार को एक आदेश जारी कर अधिकारियों से साफ-साफ कहा है कि वे विदेश यात्राओं, प्रकाशन सामग्री और विज्ञापनों पर होने वाले खर्च में कटौती करें।प्रदेश सरकार ने खर्च में कटौती करने के साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे पांच सितारा होटल की संस्कृति से बाज आएं।इसके अलावा सरकार ने नई पद सृजित करने, संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक व चतुर्थ श्रेणी में नियमित नियुक्तियों को रोकने का ऐलान किया।
उधर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नौकरियों को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला किया।अखिलेश के अनुसार, नोटबंदी और जीएसटी की असफलताओं को छिपाने के लिए सरकार अब बचत करने के नाम पर नौकरियां कम कर रही है।
अखिलेश ने ट्वीट कर लिखा कि कि नोटबंदी व जीएसटी जैसे अर्थव्यवस्था को चौपट करने वाले अपरिपक्व फैसलों ने लोगों के काम छीने हैं और नयी नौकरियां देने में ये सरकार अक्षम है, जिसे छिपाने व ध्यान भटकाने के लिए वो बचत के नाम पर नये पद-सृजन व संविदा-कर्मचारी पर रोक व चतुर्थ श्रेणी में नियमित नियुक्तियों को बंद कर रही है।