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यूपी में ऑपरेशन ‘ट्रिपल एम’ के जरिए सपा-बसपा गठजोड़ को मात देगी भाजपा!

 पार्टी ने अपने 1.4 लाख बूथों को एक परफॉर्मा दिया है, जिसमें धार्मिक स्थल, लोकेशन, उसके पुजारी का मोबाइल नंबर आदि मांगे गए हैं।
Organizing camp Allahabad Bank Gram Swaraj campaignराज प्रताप सिंह,ब्यूरो लखनऊ

‘मंदिर-मठ और महंत’ यानी ऑपरेशन ‘ट्रिपल एम’ के जरिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठजोड़ की काट तलाश ली है।इस रणनी‍ति पर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी अपनी तैयारी में जुट गई है।यही वजह है कि पार्टी अब यूपी में मठ, मंदिरों और आश्रमों के डाटा को इकट्टा कर रही है।बताया जा रहा है कि हिंदू वोटों को लुभाने के लिए बीजेपी रणनीति तैयार कर रही है।सबसे खास बात यह है कि पार्टी ने अपने 1.60 लाख बूथों को एक परफॉर्मा दिया है, जिसमें धार्मिक स्थल, लोकेशन, उसके पुजारी के मोबाइल नंबर आदि मांगे गए हैं।इन उपायों से बीजेपी पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह जीत हासिल करने के लिए माइक्रो लेवल पर अपने संगठन को मजबूत करेगी।

यूपी बीजेपी के सह-संगठन प्रभारी जेपीएस राठौर से खास बातचीत में बताया कि एक लाख साठ हजार बूथ कमेटियां नई बनाई गई हैं।मंदिर-मठ और महंत को बूथ लेवल पर जोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा,” हमेशा देखा जाता है कि चुनाव के दौरान प्रत्याशी इलाके के मंदिर, मठ और महंत से संपर्क नहीं करता है।इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी के शीर्ष नेताओं ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के हर वर्ग के व्यक्ति के साथ संवाद स्थापित करते हुए उसका पूरा डाटा इकट्टा किया जाए, जिसके अंतर्गत बूथों को एक परफॉर्मा दिया गया है, जिसमें धार्मिक स्थल, लोकेशन, उसके पुजारी के मोबाइल नंबर मांगे गए हैं।

सह-संगठन प्रभारी जेपीएस राठौर बताते हैं कि यह अभियान 10 अगस्त से लेकर 25 अगस्त तक चलेगा, जिसमें बूथों को पहले से ज्यादा हाइटेक किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि हर बूथ पर 5-5 मोटरसाइकिल और वाट्सएप चलाने वाले कार्यकर्ताओं को भी जोड़ा जा रहा है, जिससे पार्टी के प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं रहे।बीजेपी के सह-संगठन प्रभारी ने बताया कि इन बूथ कमेटियों में एक बूथ का अध्यक्ष और कई सदस्य रखे गए हैं।इनकी जिम्मेदारी तमाम आंकड़ों को जुटाना है, ताकि जरूरत पड़ने पर चुनाव में इनका इस्तेमाल किया जा सके।

जेपीएस राठौड़ ने बताया कि यह कैंपेन माइक्रो लेवल पर संपर्क फॉर समर्थन जैसा है।इसके अलावा हर बूथ के पदाधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह अपने बूथ क्षेत्र में आने वाले सबसे प्रभावशाली लोगों के नाम भी भेजें।इसके अलावा हर बूथ पर पिछड़ी जाति के लोगों और दलित जातियों के लोगों के आंकड़े भी जुटाए जाएं।

बता दें कि बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 संसदीय सीटों में से 71 जीती थी।जबकि दो सीटें उसके सहयोगी ‘अपना दल’ को मिली थीं।इस तरह बीजेपी गठबंधन ने 73 सीटें हासिल की थीं।इसी कड़ी में 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 403 सीटों में से एनडीए ने 325 सीटों पर जीत हासिल की थी।

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