लखनऊ,ब्यूरो:राज प्रताप सिंह।
योगी सरकार ने गोरखपुर विवाद के बाद जिलाधिकारी राजीव रौतेला को पदोन्नति देते हुए देवीपाटन का नया मंडलायुक्त नियुक्त किया गया था।उन्हें प्रमोशन दिए जाने पर विपक्षी दलों की ओर से सवाल खड़े किए जाने के बाद उत्तराखंड कैडर में वापस भेजने का फैसला किया गया।इसी बीच राजीव रौतेला ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में इस बाबत याचिका दाखिल की थी।जिसपर हाइकोर्ट ने मंगलवार को उनकी याचिका को खारिज करते हुए वापस उत्तराखंड के लिए यूपी सरकार को कार्यमुक्त करने का आदेश दिया।हाइकोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने रौतेला को कार्यमुक्त कर दिया।
बता दें कि राजीव रौतेला उत्तरखंड के मूल निवासी है।1982 में यूपीपीएससी में इनका चयन हुआ। नवंबर, 2000 में उत्तरखंड बनने के बाद रौतेला का आवंटन पीसीएस रहते हुए उत्तराखंड के लिए हुआ।2002 में प्रमोट होकर आईएएस हो गए।गोरखपुर में जब ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत हुई तब राजीव रौतेला वहां के डीएम थे।कहा जाता है कि बतौर डीएम राजीव ने फर्म के द्वारा बकाया भुगतान को लेकर लिखे पत्र का संज्ञान नहीं लिया था।
ताजा मामला गोरखपुर उपचुनाव की मतगणना के समय पत्रकारों के मतगणना केंद्र में घुसने पर रोक लगा दी।बाद में चुनाव आयोग ने सफाई देते हुए कहा कि चूंकि रौतेला खुद बाहर आकर मीडिया को रुझानों की जानकारी दे रहे हैं,इसलिए पत्रकारों को अंदर आने की जरूरत नहीं है।मगर बाकी जगहों पर मतगणना के दौरान रोकटोक नहीं थी और न ही किसी तरह का विवाद हुआ।