लखनऊ:तीन तलाक अध्यादेश पर दारुल उलूम नाराज, जल्द तय करेगा अपनी रणनीति
राज प्रताप सिंह,ब्यूरो लखनऊ
लखनऊ।मौलाना वली रहमानी ने कहा कि दूसरा रास्ता यह भी है कि जब यह विधेयक दोबारा राज्यसभा में आए तो बोर्ड एक बार फिर विपक्ष के सामने अपनी दलीलें पेश करके इसे पारित होने से रोके।
तीन तलाक को लेकर केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश जारी किए जाने पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। एआईएमपीएलबी ने कहा है कि वह बहुत जल्द इस मामले पर अपनी रणनीति तय करेगा।वहीं, प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने तीन तलाक के अध्यादेश को मुसलमानों के मजहबी मामलों में दखलंदाजी करार देते हुए इसकी निंदा की है।
एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा, “बोर्ड को पहले से ही यह अंदेशा था कि सरकार तीन तलाक के मुद्दे पर अध्यादेश ला सकती है, मगर उस सूरत में इसके प्रभावी होने की मीयाद महज छह महीने होगी।सरकार ने विधेयक में तीन बदलाव जरूर किए हैं लेकिन वे भी संवैधानिक रूप से त्रुटिपूर्ण हैं।हमारे वकीलों की इस पर राय बन चुकी है और बोर्ड इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है”
मौलाना वली रहमानी ने कहा कि दूसरा रास्ता यह भी है कि जब यह विधेयक दोबारा राज्यसभा में आए तो बोर्ड एक बार फिर विपक्ष के सामने अपनी दलीलें पेश करके इसे पारित होने से रोके।बोर्ड जल्द ही अपनी बैठक में यह तय करेगा कि कौन सा रास्ता अख्तियार किया जाए।
मौलाना रहमानी ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार तीन तलाक के मुद्दे को लेकर मुसलमानों को बरगलाने और दूसरी कौमों में उनकी छवि खराब करने पर आमादा है। सरकार की एक नीति यह भी है कि वह अपनी कुछ हिमायती औरतों को खड़ा करके शरई कानूनों के खिलाफ एक आंदोलन तैयार करे।सरकार चाहती है कि ऐसी औरतों की तादाद बढ़े और सरकार दम ठोंककर यह कह सके कि हम तो मुसलमानों के बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं।जबकि सच्चाई यह है कि सरकार तलाक के बाद मुस्लिम औरतों के लिए सभी दरवाजे बंद करना चाहती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार दरअसल तीन तलाक विधेयक में शरई व्यवस्थाओं की अनदेखी करके और निर्णय प्रक्रिया में मुस्लिम पक्ष की राय शामिल ना करके मुस्लिम औरतों को बरगलाते हुए इसका राजनीतिक फायदा लेना चाहती है।मौलाना रहमानी ने कहा कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद तीन तलाक के जो आंकड़े पेश कर रहे हैं, वे दरअसल झूठे हैं।सच्चाई यह है कि तीन तलाक की कोई लिस्टिंग ही नहीं होती।
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इस बीच, दारुल उलूम देवबंद ने तीन तलाक पर केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश जारी किए जाने पर चिंता जाहिर की है।इदारे के मोहतमिम मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने इस अध्यादेश को मुसलमानों के मजहबी मामलों में दखलंदाजी मानते हुए इसकी निन्दा की है।उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान का कानून हमें मजहबी आजादी देता है।तलाक और निकाह जैसे मुद्दे विशुद्ध मजहबी हैं।इनमें किसी भी हुकूमत की दखलंदाजी स्वीकार्य नहीं है।सरकार का यह कदम संविधान की आत्मा के खिलाफ है।
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बता दें, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्रिपल तलाक को अपराध के दायरे में लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।कैबिनेट ने बुधवार को ही इंस्टेंट ट्रिपल तलाक से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी देते हुए राष्ट्रपति के पास भेजा था।राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब ट्रिपल तलाक अपराध की श्रेणी में माना जाएगा।