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श्री शांतिदास महाराज की प्रतिमा की प्रांण प्रतिष्ठा वेद उच्चारण के साथ विधिविधानपूर्वक तपोवन आश्रम पर यज्ञाचार्य के दिशा निर्देश में संपन्न।

चकरनगर(इटावा)रिपोर्टर:डॉ.एस.बी.एस.चौहान।

मित्रता का मायना क्या होता है मित्र कैसा होना चाहिए मित्र के बीच में आपसी संबंध किस भाव और दृष्टिकोण के होने चाहिए इस पर बेहद चर्चा श्रीमद् भागवत कथा महापुराण में वेदव्यास द्वारा लिखित ग्रंथ में सुदामा चरित्र का व्याख्यान करते हुए व्यास गद्दी पर विराजमान रामशरण दास जी के द्वारा विस्तार पूर्वक बताया गया कि भगवान श्री कृष्ण ने गरीब सुदामा के साथ मित्रता का निर्वाहन किस तरीके से किया और क्यों किया यह मर्यादित व्यवस्था को बनाने के लिए कि मित्रता के चलते मित्र को धोखा नहीं देना चाहिए और एक दूसरे के साथ सुख और दुख में मिलजुल कर काम करना चाहिए सहयोग करना चाहिए। इसी पर बहुत बड़ा व्याख्यान देते हुए व्यास जी ने श्री शांति तपोवन आश्रम शांति दास महाराज बहादुरपुर घार के यज्ञ स्थल पर प्रवचन करते हुए दिए। इस यज्ञ का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार महंत श्री श्री 1008 श्री शांतिदास महाराज की प्रतिमा की प्रांण प्रतिष्ठा वेद उच्चारण के साथ विधिविधानपूर्वक इसी तपोवन आश्रम पर यज्ञाचार्य के दिशा निर्देश में की गई।

यह महान सिद्ध मूर्ति के संदर्भ में क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि यह आश्रम श्री शांति दास महाराज ने अपने अथक प्रयास कर खून पसीना बहाकर इस आश्रम को तपोवन के रूप में स्थापित किया। इस आश्रम पर वह कला को सिद्धि के रुप में प्रदर्शित किया कि जिससे आम जनता का ध्यान इस आश्रम की तरफ एकाग्र हुआ और बेझिझक क्षेत्रीय लोगों ने इसके अलावा उनके सिद्ध शिष्यों ने आश्रम पर बहुत सारी व्यवस्थाओं को जुटाने का सफल प्रयास किया। जिसके तहत आश्रम पर आज श्रद्धालुओं का श्रद्धा के वशीभूत तांता लगा रहता है। समय-समय पर श्रीमद् भागवत महापुराण रासलीला का भी आयोजन किया जाता है इसी कार्यक्रम के चलते श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन महंत सीताराम दास, दयाराम दास, उमा दास और बृजमोहन दास जी के द्वारा अकूत मेहनत कर कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। बता दें कि

श्रीमद् भागवत महापुराण के आयोजन से पूर्व सिद्ध संत श्री श्री 1008 श्री शांति दास जी महाराज की प्रतिमा की प्रांण प्रतिष्ठा होनी थी जिसके लिए यज्ञाचार्य ने विधिविधानपूर्वक मंत्रोच्चारण के बीच सिद्ध संत की प्राण प्रतिष्ठा की और श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का भी आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर रसमई गंगा में गोते लगाए और आनंद की अनुभूति प्राप्त की। व्यवस्था को देख रहे कार्यकर्ताओं ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा महापुराण का आज अंतिम दिन है और भंडारे की व्यवस्था यानी यज्ञ प्रसादी की व्यवस्था कल के दिन सुनिश्चित है जिसमें सभी भक्तजनों को भंडारे में प्रसादी पाने हेतु चूल्ही(सपरिवार) आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम के दौरान व्यवस्थापकों का लगाव इस बात को सिद्ध कर रहा था कि पिछले 1 हफ्ते से चला आ रहा कार्यक्रम कार्यकर्ताओं के अंदर बेहद जोश और उल्लास परिलक्षित हो रहा था जिसके चलते किसी के भी चेहरे पर थकान महसूस नहीं हो रही थी। इसी परिपेक्ष में महेश सिंह चौहान, विवेक सिंह चौहान, आदर्श सिंह चौहान, अंशु सिंह चौहान और छोटू सिंह चौहान नें यज्ञ पांडाल में बैठे सैकड़ों भक्तों कि बैठने की व्यवस्था से लेकर शांति बनाए रखने के लिए सारे प्रयास अपने सह साथियों के साथ निरंतर जारी रखें। मीडिया स्टाफ के पहुंचते ही व्यवस्थापकों ने समूचे कार्यक्रम की रूपरेखा और व्यवस्था के बारे में बारीकी से निरीक्षण कराते हुए जानकारी दी।

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