लखनऊ,ब्यूरो: राज प्रताप सिंह।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत लखनऊ अधिकारियों को सिर्फ एक लड़की मिली है, जो विवाह योग्य है। सूबे की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत दिसंबर में नगर निगम को 300 फॉर्म पंजीकरण के लिए भेजे गए थे। इन सभी की जांच के बाद नगर निगम के अधिकारियों को एक ही लड़की सारे लखनऊ में शादी के लायक मिली है।
जोनल अधिकारियों और नगर पंचायतों का भी ऐसा ही हाल।
एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की स्थिति कुछ ठीक नहीं है। आठ बीडीओ, आठ नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारियों और नगर निगम के आठ जोनल अधिकारियों को भी शादी लायक लड़की नहीं मिल रही हैं। योजना में लक्ष्य हासिल होता ना देख के नोडल अधिकारी ने सभी अफसरों को एक हफ्ते में लक्ष्य पूरा करने को कहा है
नगर निगम को कराने हैं कम से कम 101 पंजीकरण।
योजना के अधिकारी का कहना है कि नगर निगम को कम से कम 101 पंजीकरण करवाने के लिए कहा गया है, जबकि बुधवार को समीक्षा में पाया गया कि नगर निगम ने एक ही पंजीकरण किया है। ऐसा तब हुआ जब नगर निगम को101 बीडीओ और अधिशासी अधिकारियों को 10-10 पंजीकरण के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने कहा कि शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं में लापरवाही हुई तो कार्रवाई की जाएगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते साल अक्टूबर में ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष में 1248 अनुसूचित जाति, 1000 पिछड़ी जाति और 615 सामान्य जाति के लड़कियों की शादी का जिम्मा प्रदेश सरकार उठाएगी। इस योजना के तहत पहली बार विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को भी शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का पंजीकरण ब्लॉक मुख्यालय और नगर पालिका, नगर पंचायतों के ईओ के कार्यालयों में किया जा सकता है। सामूहिक विवाह में कम से कम दस जोड़े होने चाहिए। यह कार्यक्रम नगर निगम, नगर पंचायत, नगर पालिका, जिला पंचायत जैसी संस्थाएं आयोजित कराएंगी। जोड़ों को कुछ धनराशि भी दी जाएगी। लाभार्थियों के खाते में 20 हजार रुपए सीधे दिए जाएंगे। इस तरह प्रति जोड़ा सरकार कुल खर्च 35 हजार रुपए खर्च करेगी।
एक जोड़े पर 35 हजार खर्ड करेगी प्रदेश सरकार।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का पंजीकरण ब्लॉक मुख्यालय और नगर पालिका, नगर पंचायतों के ईओ के कार्यालयों में किया जा सकता है। सामूहिक विवाह में कम से कम दस जोड़े होने चाहिए। यह कार्यक्रम नगर निगम, नगर पंचायत, नगर पालिका, जिला पंचायत जैसी संस्थाएं आयोजित कराएंगी। जोड़ों को कुछ धनराशि भी दी जाएगी। लाभार्थियों के खाते में 20 हजार रुपए सीधे दिए जाएंगे। इस तरह प्रति जोड़ा सरकार कुल खर्च 35 हजार रुपए खर्च करेगी।