डेस्क : अवैध बालू खनन को लेकर सख्ती दिखा रही सरकार के हाथ अपने कई बडे अधिकारियों की काली कमाई का सबूत लग गया है. आर्थिक अपराध ईकाई यानि ईओयू ने जब इन अधिकारियों की संपत्ति जांची तो उसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आये.
- अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राजेंद्र कर्ण मनोनीत
- एडीएम नीरज दास की अध्यक्षता में जिला स्थापना दिवस को लेकर बैठक
- जेडीयू नेता राजेश्वर राणा ने तेजस्वी यादव की घोषणा पर बोला हमला
- 2025 में जनगणना, बिहार में तैयारी शुरू
- अपने घरों तक रास्ता से वंचित परिवारों से मिले जेडीयू नेता राजेश्वर राणा, भगता बांध पर सड़क निर्माण का दिए आश्वासन
ईओयू की जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने दो आईपीएस, 4 डीएसपी, एक एसडीओ समेत 18 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है.सरकार के अलग अलग विभागों ने आज निलंबन को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया. सबसे बडी कार्रवाई पुलिस महमके में हुई. सरकार ने आरा के तत्कालीन एसपी राकेश कुमार दूबे औऱ औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी सुधीर कुमार पोरीका को निलंबित कर दिया है.
चार डीएसपी भी निलंबित हुए हैं उनमें पालीगंज के तत्कालीन डीएसपी तनवीर अहमद, आरा के तत्कालीन डीएसपी पंकज कुमार रावत, औरंगाबाद सदर के तत्कालीन एसडीपीओ अनूप कुमार औऱ डिहरी के तत्कालीन एसडीपीओ संजय कुमार शामिल हैं. राज्य सरकार ने इन सभी अधिकारियों को प्राथमिकी जांच में दोषी पाने के बाद इसी महीने 14 जुलाई को पद से हटा दिया था. उन्हें वापस पुलिस मुख्यालय बुला लिया गया था.
ईओयू की प्रारंभिक जांच में इन तमाम अधिकारियों को अवैध बालू खनन का दोषी पाया गया था.सरकार की ओर से आईपीएस औऱ डीएसपी के निलंबन को लेकर जो अधिसूचना निकाली गयी है उसमें कहा गया है कि आर्थिक अपराध ईकाई ईओयू के जांच प्रतिवेदन में ये पाया गया है कि उन्होंने बालू के अवैध उत्खनन, भंडारण और परिवहन में अपनी ड्यूटी को सही तरीके से नहीं निभाया. ईओयू ने अपनी जांच में पाया कि ये तमाम पदाधिकारी अवैध बाबू खनन में लगे लोगों को मदद पहुंचा रहे थे. उनका आचरण संदिग्ध था औऱ अपने नीचे के अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं था. लिहाजा उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है. सस्पेंशन के दौरान उन्हें सिर्फ जीवन यापन भत्ता दिया जायेगा.
सरकार ने इन्हीं आरोपों में एक एसडीओ को भी निलंबित कर दिया है. रोहतास जिले के डिहरी में एसडीओ रहे सुनील कुमार सिंह को सामान्य प्रशासन विभाग ने निलंबित कर दिया है. उनके निलंबन की अधिसूचना में ईओयू की जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया है.सरकार ने 11 और पदाधिकारियों को निलंबित किया है. इनमें 3 सीओ शामिल है. कोईलवर के सीओ रहे अनुज कुमार, पटना पालीगंज के सीओ रहे राकेश कुमार और औऱंगाबाद बारूण के सीओ रहे वसंत राय को सस्पेंड कर दिया गया है. इन तीनों सीओ के खिलाफ आर्थिक अपराध ईकाई यानि ईओयू ने जांच रिपोर्ट दी थी औऱ बालू माफियाओं से उनके सांठगांठ की जानकारी दी थी.सरकार ने भोजपुर के एमवीआई रहे विनोद कुमार को भी निलंबित कर दिया है. उन पर बालू माफियाओं को अवैध बालू के परिवहन में सहयोग करने का आऱोप है. उधर खान एवं भूतत्व विभाग ने 7 खनन पदाधिकारियों को सस्पेंड किया है. सस्पेंड हुए दोनों खनन पदाधिकारियों को 14 जुलाई को पद से हटा कर मुख्यालय बुलाया गया था.
सरकार ने मंगलवार को जिन पदाधिकारियों को सस्पेंड किया है, वे वही हैं जिन्हें 14 जुलाई को अपने पद से हटाकर वापस मुख्यालय बुला लिया गया था. उनके खिलाफ ईओयू की जांच जारी थी. जांच में औऱ तथ्य मिलने के बाद उन्हें सस्पेंड किया गया. सरकार ने इन पदाधिकारियों को पद से हटाने के बाद उनकी संपत्ति की जांच करने को कहा था. आर्थिक अपराध ईकाई को इस काम में लगाया गया था. सूत्र बता रहे हैं कि ईओयू को जांच में इन अधिकारियों की बड़ी काली कमाई का पता चला है. इसकी सूचना सरकार को दे दी गयी है.
अभी और अफसरों पर गिरेगी गाज, होगी प्राथमिकी
बालू के अवैध खेल में अभी और अफसरों पर गाज गिरेगी। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही एक दर्जन से अधिक अफसरों के निलंबन की कार्रवाई की जा सकती है. ईओयू की रिपोर्ट के आधार पर बालू के अवैध खनन मामले में 41 पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को पद से हटाया गया था. निलंबित किए गए अफसरों पर पहले से ही संपत्ति मामले की जांच भी चल रही है। इसको लेकर उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा गया है. जांच की दिशा आगे बढऩे पर प्राथमिकी भी दर्ज करने की तैयारी है.