रामकिशोर रावत
माल(लखनऊ)। ग्राम प्रधान व सचिव की मिलीभगत के चलते पंचायतों में बनाए जा रहे शौचालयों में घटिया किस्म की सामग्री से बनवाए जा रहे हैं शौचालय।मामला करेद पंचायत का है। कोई भी जिम्मेदार इन शौचालयों की स्थिति देखने वाला नहीं दिखाई दे रहा है जो सिर्फ शोपीस ही बना कर तैयार किए जा रहे हैं।माल विकासखंड की ग्राम पंचायत करेंद के मजरों में ठेकेपर शौचालय निर्माण कराया जा रहा है। जिनमें इन ठेकेदारों द्वारा पूरी पंचायत में शौचालय बनवाए जा रहे हैं इन ठेकेदारों द्वारा शौचालय निर्माण में पीली ईटों व बालू की अधिक मात्रा तथा सीमेंट कम मात्रा और डस्ट डालकर शौचालय निर्माण कार्य कराया जा रहा है जो सिर्फ शोपीस ही बना कर तैयार किए जा रहे हैं और पैसे को निकाल कर अपनी जेब भरने में लगे हैं। जो शौचालय बनवाए जा रहे हैं इनमें ठेकेदार द्वारा सिर्फ ₹8000 की लागत से बनाए जा रहे हैं बाकी जो सिर्फ पैसा बच रहा है तो उसमें ठेकेदार ग्राम प्रधान व सचिव का बराबर का हिस्सा लगाया जाता है यहां तक कि लाभार्थी से भी एक बोरी सीमेंट लेते हैं यह ठेकेदार। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया गांव को शौच मुक्त करने का सपना देख रहे हैं लेकिन यह सिर्फ क्षेत्र में हवा हवाई साबित हो रहा है जब 12000 रुपए में प्रधान व सचिव कमीशनखोरी का खेल खेल रहे हैं तो सरकार द्वारा गरीबों को अन्य योजनाओं देने में इन सचिवों प्रधानों का क्या खेल खेलते होंगे इसका अंदाजा तो इसी से लगाया जा सकता है सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन शौचालयों को कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर जाकर इनकी स्थिति को देखने वाला कोई भी नहीं दिखाई दे रहा है।ग्रामीणों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि सिर्फ सरकार का पैसा का दुरुपयोग करके इन शौचालयों में घटिया किस्म की सामग्री से निर्माण कराकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं जिनकी स्थिति यह है कि 1 वर्ष भी इनमें उपयोग करना बड़ा मुश्किल दिखाई दे रहा है।