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पंजाब::क्या अब इंसाफ के लिए लड़ना भी एक अपराध होगा।

 

जालंधर(राजीव धम्मि/गगनदीप सिप्पी): जालंधर के बहुचर्चित मिंटी कौर केस में बड़ा मोड़ आया जब इंसाफ के लिए दर-दर भटक रही मिंटी कौर ने हताश होकर आज जालंधर के पुलिस कमिश्नर के घर के बाहर शांतिपूर्वक अकेली इंसाफ के लिए बैठी गई। वह कमिश्नर के घर के बाहर अपना मुंह बांध कर शांतिपूर्वक इंसाफ के लिए बैठी थी, तभी पुलिस कमिश्नर घर के बाहर एसीपी सेंट्रल सतिंदर चड्ढा एव एसएचओ डिविजन नंबर 4 बलबीर सिंह कुछ लेडीज कांस्टेबल के एक साथ आते हैं। और वहां बैठी मिंटी कौर को बिना समझाइए एवं वार्निंग दिए एसीपी सेंट्रल और एसएचओ डिवीजन नंबर 4 अपने साथ आई लेडिस कांस्टेबल क मिंटी कौर को जबरन वहां से उठाने का आदेश देते हैं,और लेडिस कांस्टेबल एसीपी और एसएचओ के आदेशों का पालन करते हुए वहां बैठी मिंटी कौर को जबरन उठाते हैं और उसे पुलिस की गाड़ी में डालकर डिवीजन नंबर 4 में ले जाया गया और वहां मिंटी कौर के ऊपर धारा 107/151 के तहत एफआईआर दर्ज की कर दी गई।खबर लिखे जाने तक मिंटी कौर पुलिस हिरासत में ही थी।अब देखना ये होगा कि मिंटी कौर को इंसाफ मिल पायेगा या नही।

आज पुलिस की इस कार्यवाही को देखते हुए हमारे कुछ सवाल।

क्या इंसाफ के लिए लड़ना एक गुनाह है?
क्या पुलिस प्रशासन से इंसाफ की गुहार लगाना एक अपराध है?

क्या हमें अपने देश में रहते हुए इंसाफ की उम्मीद करना छोड़ देना चाहिए?

आज पुलिस की इस कार्यवाही को देखते हुए क्या धरना प्रदर्शन करना या इंसाफ के लिए शांतिपूर्वक कुछ करना सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के लिए ही रह गया है?

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