नालंदा/बिहारशरीफ, (कुमार सौरभ) : आस्था का महापर्व छठ पूजा में साफ सफाई और स्वच्छता का बड़ा ही महत्व होता है। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक छठ पर्व मनाया जाता है। यह पर्व नहाय खाय से शुरु होकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने और पारण करने तक छठी माई की कृपा अनुदान और वरदान की बरसात होती है। सभी लोग अपने और अपनों के भले के लिए मन्नतें मांगते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण भी होती है। यही कारण है कि इस छठ पर्व को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है। इस पर्व में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है, जो भी सच्चे मन से भगवान भास्कर का पूजन व आराधना करते हैं उनकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। प्रथम दर्शन देने वाले भगवान आदित्यनाथ के पूजन से जीवन में गति और प्रकाश मिलता है। छठ पर्व सिर्फ आस्था का पर्व नहीं है बल्कि अब यह लोक आस्था का पर्व बन गया है। यह सभी पर्वों से कठिन पर्व है। इसमें निर्जला के साथ-साथ विशेष सावधानी बरतनी होती है। विधि विधान के साथ स्वच्छता का खासा ध्यान रखा जाता है। ऐसा नहीं है कि जो व्यक्ति छठ पूजा नहीं करते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण नहीं होती है। इन 4 दिनों में हर किसी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मन्नतों का पर्व होने के कारण हर व्यक्ति का परम कर्तव्य बनता है कि वह अपने आसपास के वातावरण कि साफ सफाई स्वच्छ एवं पवित्र बनाने का बनाने में सहयोग करें। पुराणों के अनुसार भगवान सूर्यदेव और छठी माई आपस में भाई बहन हैं और षष्ठी की प्रथम पूजा भगवान सूर्य ने ही की थी।
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