डॉ.एस.बी.एस.चौहान
चकरनगर (इटावा)। तहसील सभागार में तहसील दिवस का कार्यक्रम उप जिलाधिकारी चकरनगर जितेंद्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। जिसमें 32 शिकायतें पोर्टल पर दर्ज की गई लेकिन निस्तारण एक का भी नहीं। उपलब्ध ब्यौरा के अनुसार तहसील सभागार चकरनगर में समाधान दिवस उप जिलाधिकारी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संपन्न हुआ इस दौरान कुछ विभागों के ही इक्के-दुक्के अधिकारी या उनके मातहत कर्मचारी उपस्थित पाए गए। लगता है इसी वजह से एक भी प्रार्थना पत्र का निस्तारण संभव नहीं हो सका। तहसील दिवस में महत्वपूर्ण नजरिया जो लोगों के मूलभूत दृश्य का कारण बना रहा वह यह था कि जिस वक्त मीडिया कर्मी तहसील दिवस कार्यक्रम में समाचार संकलन हेतु उपस्थित हुए तो यह देखने में आया कि प्रथम कुर्सी पर कार्यवाहक तहसीलदार चकरनगर जिन पर तहसील चकरनगर का चार्ज है लेकिन मूल रूप से तहसील भरथना के वह तहसीलदार हैं विराजमान थे। जिस कुर्सी पर एक सफेद ऑलवाईन बिछा हुआ था मीडिया कर्मियों ने यह देखते हुए कि यह कोई उप जिलाधिकारी पद से बड़ा अधिकारी महसूस होता है क्योंकि उसकी बगल में बैठे उपजिलाधिकारी चकरनगर जो एक सादा कुर्सी पर विराजमान थे उसी वक्त मीडिया कर्मियों ने वरिष्ठ अधिकारी की पहचान जानने के लिए क्षेत्राधिकारी चकरनगर उत्तम सिंह जी से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह तहसीलदार कार्यवाहक के रूप में चकरनगर विराजमान है। तो मीडिया कर्मी भी सकते में आ गए कि आखिर यह सब अनजान में होता है या जानकारी होते हुए भी सादा मिजाज उप जिलाधिकारी कुछ भी कह पाने में सक्षम साबित नहीं होते जिस अल वाइन पड़ी प्रथम कुर्सी पर तहसीलदार महोदय विराजमान थे और बगल की सादा कुर्सी पर भगवा कलर की शर्ट पहने उप जिलाधिकारी महोदय विराजमान थे। तहसील दिवस में दी गई दरख्वास्तों पर कितना गंभीरता से संज्ञान लिया जाता है यह तो सर्वविदित है। किसी भी शिकायत का स्थलीय निरीक्षण और विधि अनुकूल कार्यवाही होना शत-प्रतिशत निगेटिव के खाते में जाता है। पीड़ित-दुखी लोग शिकायतों के लिए जाते हैं पोर्टल पर दर्ज कराते हैं लेकिन उसका निष्कर्ष मूल रूप से सभी प्रार्थना पत्रों पर नहीं हो पाता। जिलाधिकारी महोदया और मुख्य विकास अधिकारी महोदय इटावा को चाहिए कि जो भी प्रशिक्षण अधिकारियों को दिए जाते हैं उसके साथ-साथ यह भी प्रशिक्षण जरूरी होता है किस कुर्सी पर किस अधिकारी को बैठाया जाए और कौन सी कुर्सी किस अधिकारी की होती है यह भी एक लाजमी सवाल है। लेकिन देखना यह है कि इस पर हमारे जिला प्रशासनिक अधिकारी कितना तवज्जो देते हैं और इस पर क्या कार्यवाही होती है यह सब मामला देखने लायक है।