दरभंगा (विजय सिन्हा) : पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र जयंती पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। स्थानीय महाराजा महेश ठाकुर मिथिला महाविद्यालय में विद्यापति सेवा संस्थान द्वारा एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी ने कहा कि ललित नारायण मिश्र को भारतरत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। वहीं इस अवसर पर डॉ. विद्यानाथ झा ने कहा कि जिन्होंने देश को मिथिला पेंटिंग और कोशी क्षेत्र को तटबंध सरीखा अनमोल संदेश दिया। वैसे व्यक्तित्व सदैब याद किये जाएंगे।
इस मौके पर प्रवीण कुमार झा, डॉ. उदयकांत मिश्र, डॉ. राम सुभग चौधरी, दिनेश झा, हरिकिशोर, डॉ. गणेश कांत झा, मनोज कुमार झा, डॉ. हरेराम झा, चंद्रमोहन झा पड़वा आदि ने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजकिशोर झा और धन्यवाद ज्ञापन चंद्रशेखर झा बूढाभाई ने किया। वहीं मिर्जापुर स्थित गिरी आवास में मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुमार चौधरी की अध्यक्षता में ललित जयंती का आयोजन किया गया। इस मौके पर श्री चौधरी ने कहा कि मिथिला में कोशी नदी की बाढ़ की त्रासदी से निजात दिलाने में ललित बाबू की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस मौके पर कृष्ण कुमार मिश्र प्रभाकर, चंदेश्वर गिरी, विश्वपति मिश्रा, प्रकाश झा, अरूण कुमार झा, अवधेश कुमार यादव, त्रिभुवन ठाकुर, संतोष गिरी, राम महासेठ, राजीव झा, उमेश पासवान, प्रकाश चौधरी, मिथिलेश झा, राजेश झा, चंदन चौधरी आदि ने विचार व्यक्त किये।
लोकप्रियता ही ललित बाबू के हत्या का प्रमुख कारण – प्रो. चंदेश्वर
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की 97वीं जयंती मनाई गई। इस मौके पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि भूमंडलीकरण के बहुत पहले उन्होंने वाणिज्य मंत्री के रूप में भारत की अंतरराष्टÑीय बाजार में संभावनाओं की व्यापक तलाश की थी। उन्होंने कहा कि उनकी लोकप्रियता हत्या का बहुत बड़ा कारण था। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मिथिला विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. जयगोपाल ने ललित बाबू को मिथिला का समर्पित सपुत बताते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस मौके पर हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि उन्होंने मिथिला, मैथिली और मिथिला चित्रकला को राष्टÑीय स्तर पर पहचान दिलाई। मिथिला को गरीबी, अशिक्षा और प्राकृतिक आपदा से निजात दिलाने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किया। इस मौके पर कुल सचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, प्रधानाचार्य डॉ. मुश्ताक अहमद, मानवीय संकायाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार झा, विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. शीला, डॉ. विनोद कुमार चौधरी, प्रो. रतन कुमार चौधरी, प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा व रहमतुल्लाह, डॉ. श्यामचंद्र गुप्ता आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सीसीडीसी डॉ. मुनेश्वर यादव ने किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय स्थित ललित नारायण मिश्र की मूर्ति पर अतिथियों ने माल्यार्पण किया। इस मौके पर मिथिला के विकास में ललित बाबू का योगदान विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें शंकर कुमार-प्रथम, प्रिया कुमारी- द्वितीय और रंजेश्वर झा-तृतीय स्थान पर रहे।
दबे-कुचलों के लिए समर्पित थे ललित बाबू – डॉ. रहमतुल्लाह
मिल्लत कॉलेज में ललित नारायण मिश्र की जयंती मनाई गई। इस मौके पर प्रधानाचार्य डॉ. मो. रहमतुल्लाह ने कहा कि ललित बाबू वास्तव में एक कद्दावर नेता थे।
जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन दबे-कुचले पीड़ित-शोषित, गरीब कमजोर लाचार लोगों की सेवा में अर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि वह दिलों दिमाग में देश के विकास के लिए कम समय में ही काम किया और खास कर बिहार का विकास किया। उन्होंने कहा कि आज अगर वह जीवित होते, तो पूरे बिहार में खासकर मिथिला पूरे देख में सबसे ज्यादे विकसित और खुशहाल होता। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. शहनाज बेगम ने की।
इस मौके पर मुश्तफा कमाल अंसारी, प्रो. भक्तिनाथ, डॉ. सुनीता झा, डॉ. राजकिशोर पासवान, हेमंत कुमार झा आदि ने विचार रखे। संचालन डॉ. महेश्चंद्र मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अताउर रहमान ने किया।