डेस्क : बांग्लादेश की जेल से रिहा कराए गए हायाघाट प्रखंड के मनोरथा गांव निवासी सतीश चौधरी के इलाज के लिए उसे लेकर उसके परिजन सोमवार की सुबह करीब साढ़े दस बजे डीएमसीएच के मेडिसिन विभाग पहुंचे।
वहां से उनलोगों को ओपीडी स्थित मनोरोग चिकित्सा विभाग जाने को कहा गया। हायाघाट में डॉक्टरों की टीम ने उसकी जांच करने के बाद उसे डीएमसीएच रेफर किया था।
- बिहार में दरिंदगी :: नशे का इंजेक्शन देकर चार दिनों तक नाबालिग से गैंगरेप
- दरभंगा में महिलाओं ने की पुरूषों से ज्यादा वोटिंग, आधी आबादी पर निर्भर सांसद का फैसला
- दिल्ली पब्लिक स्कूल का जलवा बरकरार, 10वीं 12वीं बोर्ड में शत् प्रतिशत छात्रों ने पाई सफलता
- राजेश्वर राणा ने दरभंगा के भविष्य सुदृढ़ीकरण हेतु किया मतदान
- जज्बे को सलाम :: लास्ट स्टेज कैंसर पीड़िता सुभद्रा देवी स्ट्रेचर पर पहुंची बूथ, किया मतदान
मनोरोग चिकित्सा विभाग पहुंचने पर डॉक्टरों की टीम ने सतीश की जांच की। उसे डिप्रेशन का शिकार पाया गया। जांच के बाद चिकित्सकों ने उसके पुर्जे पर चार दवा लिखकर उसे बेहतर इलाज के लिए कोइलवर रेफर कर दिया। पुर्जे पर लिखी गई दवा में से एक दवा भी उसे अस्पताल से उपलब्ध नहीं हो सकी। इसके बाद परिजन उसे लेकर अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद के कार्यालय पहुंचे। अधीक्षक ने भी सतीश का पुर्जा देखा। अधीक्षक ने परिजनों को बताया कि पुर्जे पर जो दवा लिखी गई है, उसकी मांग विभाग की ओर से अस्पताल प्रबंधन से नहीं की जाती है। इस वजह से वे अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं।
वहीं दूसरी ओर सतीश को कोइलवर ले जाने के लिए अधीक्षक ने एंबुलेंस उपलब्ध कराने की पेशकश की। हालांकि परिजनों ने कहा कि वे अभी घर लौट रहे हैं। घर में विचार-विमर्श करने के बाद वे उसे लेकर कोइलवर जाएंगे। अधीक्षक ने उनलोगों को आश्वासन दिया कि कोइलवर तक पहुंचाने के लिए वे एंबुलेंस उपलब्ध करा देंगे।
गौरतलब है कि बांग्लादेश की जेल में वर्षों रहने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल दफ्तुआर के प्रयास से उसकी रिहाई हो सकी थी। इसके बाद 16 सितम्बर को सतीश के अपने गांव मनोरथा पहुंचने पर लोगों ने उसका जमकर स्वागत किया था। अस्पताल अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद ने बताया कि सतीश डिप्रेशन का शिकार है। बेहतर इलाज से उसकी मानसिक हालत ठीक हो जाएगी।