चकरनगर (इटावा), (डॉ. एस. बी. एस. चौहान) 15जुलाई। थाना भरेह के गांव हरौली बहादुरपुर में गाली गलौज के बाद हुई मारपीट। पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर पर नहीं की कोई कार्यवाही, वहीं विपक्षी पर अवैध चाकू रखने का जुर्म लगाकर किया चालान।
बताते चलें गांव नींमाडॉडा के आनन्द कुमार निषाद बुधवार की रात हरौली बहादुरपुर रासलीला देखने जा रहे थे गांव पहुंचते ही गांव की गली में छोटू पुत्र बीरेंद्र व दीवान पुत्र कन्हैयालाल मिल गए ।उक्त दोनों युवकों से आंनद कुमार(नन्दू)की कुछ कहा सुनी होने लगी देखते ही देखते एक दूसरे को गाली देने लगे। तीनों में जमकर मारपीट भी हुई। मामला संबंधित थाना भरेह पहुंचा जहां पर थाना पुलिस ने कानून को ताख में रखकर पक्षपात पूर्ण कार्यवाही करने में कोई कोताही नहीं बर्ती। वीरेंद्र व दीवान अनुसूचित जाति के लोग हैं बताया जाता है कि नंदू ने उपरोक्त दोनों को जातिसूचक गालियां दीं इसी पर विवाद और बढ़ गया था जो थाना भरेह तक पहुंचा।पुलिस ने अविवेक पूर्ण निर्णय लेकर छोटू को अवैध चाकू रखने के जुर्म में धारा 4/25 के तहत इटावा जेल भेज दिया तो वहीं आनन्दकुमार को किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही से अछूता रखा। बताया जाता है कि नंदू निषाद जो हिस्ट्रीशीटर है लेकिन अब अवैध मत्स्य आखेटक भी है इसलिए पुलिस से यारमंद के संबंध हो सकते हैं शायद इसीलिए पुलिस ने यह बचाव करते हुए नंदू को वइज्जत वरी कर छोटू का चालान अवैध चाकू रखने के जुर्म में इटावा जेल भेजा, जो सरासर अन्याय है।
थानाध्यक्ष भरेह ने बताया कि पुलिस छोटू को अरेस्ट करने के लिए बहुत पहले से फिराक में थी लेकिन समय हाथ नहीं लगा और जब आज मामला सामने आ गया तो उसका चालान करना एहतियातन जरूरी था क्योंकि पुलिस ने इसे जघन्य अपराधी माना है, पर ग्रामीणों का मानना है कि छोटू और दीवान यदि अपराधी पुलिस की नजर में है तो हिस्ट्रीशीटर नंदू क्या सांसद और विधायक था? जो कानून के ऊपर रखकर उसके ऊपर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।सूत्रों की माने तो ग्रामीणों ने सारी घटना से अवगत कराने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं से संपर्क साधा है।
अंधा कानून भरेह में चलाने के लिए पुलिस भरेह का पर्दाफाश वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय के समक्ष किया जाएगा, कुछ लोगों ने बताया कि जब हम हर खेत अपनी निजी मोटरसाइकिल से जाते हैं तो थाने की पुलिस खासकर एक तेजतर्रार बेलगाम दरोगा जो गाड़ी को पकड़कर अवैध वसूली कर छोड़ता है और धन न मिलने पर चालान ठोक दिया जाता है। भरेह थाना क्षेत्र की कराह रही जनता यहां की लालफीताशाही से तंग आ चुकी है।यदि वरिष्ठ अधिकारियों ने कोई स्वयं संज्ञान न लिया तो यहां की जनता थाना पुलिस भरेह के अंधे कानून से निपटने के लिए कोई उपाय अख्तियार करेगी।
75 वर्षीय प्यारेलाल बताते हैं कि भरेह थाना पुलिस के लिए पोस्टिंग एक सजा के तौर पर मांनी जाती है अब यहां से बड़े पुलिस कप्तान कहां लेकर जाएंगे? यहां की पुलिस तो उदण्डता सिर्फ इसीलिए करती है कि यहां से कहीं अच्छी जगह ही स्थानांतरण होकर कार्य करने का मौका मिलेगा।
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इस घटना की पुष्टि करने के लिए जब थानाध्यक्ष से दूरभाष पर बात करनी चाही तो बात न हो सकी।