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जन्‍मदिन विशेष :: वंडर ब्वॉय की अनोखी प्रेम कहानी, बोली अंजलि- क्रिकेट के बिना सचिन के बारे में सोचना मुश्किल

उ.सं. डेस्क : क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर का आज 44वां जन्मदिन​ है. जन्‍मदिन पर उनको बधाईयों का तांता लग गया है.

क्रिकेट में भगवान का दर्जा पा चुके सचिन का जन्म 24 अप्रैल, 1973 में मुंबई के एक साधारण परिवार में हुआ था. मराठी कवि रमेश तेदुलकर से घर जन्मे सचिन को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था जिसे उन्होंने बाद में करियर के रुप में चुना. उनके इसी शौक ने उन्हें दुनिया भर में कभी न मिटने वाली पहचान दिलाई और आज भी वह क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में बसते हैं.

संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर पड़ा है सचिन नाम

सचिन तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर संगीतकार सचिन देव बर्मन के फैन थे. उन्हीं की नाम पर सचिन के पिता ने उनका नाम सचिन रमेश तेंदुलकर रखा था

सचिन तेंदुलकर अब क्रिकेट के मैदान पर अपने बल्ले के साथ तो सक्रिय नहीं हैं, लेकिन क्रिकेट के प्रति उनका जो जुनून है, वह कम नहीं हुआ. यही कारण है कि वे आज भी क्रिकेट जगत में बहुत सक्रिय हैं और जो बात गौर करने वाली है, वह यह है कि वे आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं.

सचिन तेंदुलकर एक ऐसे महान खिलाड़ी हैं जिनके पास क्रिकेट के शायद ही कोई ऐसे रिकॉर्ड हैं जो उनके नाम के साथ नहीं जुड़ पाया. सचिन को आज सचिन रिकॉर्ड रमेश तेंदुलकर के नाम से जाना जाता है. सचिन आज एक क्रिकेटर के साथ-साथ एक सांसद भी हैं. उन्‍हें सम्‍मान देते हुए राज्‍य सभा सांसद चुना गया. सचिन ने अपनी सांसदी में भी मिशाल कायम किये हैं और सांसद ग्राम योजना के तहत गांव गोद भी लिये हैं.सचिन तेंदुलकर एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें सरकार ने भारतरत्न देने का फैसला किया और धारा से विपरीत जाकर उन्हें यह पुरस्कार दिया गया, क्योंकि सचिन से पहले खेलजगत से जुड़े किसी व्यक्ति को यह पुरस्कार नहीं मिला था.

दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के उपलब्धियों से भरे सुनहरे करियर पर एक वृत्तचित्र उनके 44वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर प्रसारित किया गया. ‘लिटिल मास्टर’ नाम की यह फिल्म 23 अप्रैल को दिखायी गयी.

भारत और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट श्रृंखला के आखिरी मैच के बाद वानखेडे स्टेडियम पर उनका जज्बाती विदाई समारोह अभी भी क्रिकेटप्रेमियों को याद है. तेंदुलकर ने भले ही मैदान पर अपने सफर को विराम दे दिया लेकिन खेल को लेकर अपनी टिप्पणियों और जानकारी के जरिये वह आज भी सुर्खियों में हैं. उनकी आत्मकथा प्लेइंग इट माय वे पिछले 2014 नवंबर में आई और उसने बिक्री के कई रिकार्ड तोड़े.

सचिन की प्रेम कहानी

मेडिकल की छात्रा अंजलि ने हवाई अड्डे पर जब भारतीय क्रिकेट के वंडर ब्वॉय सचिन तेंडुलकर को देखा, तो वह उनके आकर्षक व्यक्तित्व पर मोहित हो गयी थीं. वह सचिन-सचिन चिल्लाती हुई दौड़ पड़ी, जिससे 17 वर्षीय सचिन को शर्म आ गयी. अंजलि ने कहा, मैं मां को लेने गयी थी और इसके बाद मैंने उसे देखा और मेरी दोस्त ने मुझे कहा कि यह भारतीय क्रिकेट का वंडर ब्वॉय है.

मैंने अपनी मित्र से कहा कि वह कितना क्यूट है. उसके बाद मैं उनकी और दौड़ पड़ी और अपनी मां को भूल गयी. अंजलि ने कहा कि इसके बाद वह सचिन का नंबर हासिल करने में सफल रही. उन्होंने कहा, मैंने उन्हें फोन किया और कहा कि मैं अंजलि हूं और आपको हवाई अड्डे पर देखा था. उन्होंने कहा कि उन्हें मेरे बारे में याद है. मैंने पूछा कि मैंने कौन से रंग के कपड़े पहने थे, तो उन्हें याद था कि यह ऑरेंज रंग की टी शर्ट थी.

क्रिकेट के बिना सचिन के बारे में सोचना मुश्किल :अंजलि

सचिन तेंदुलकर जब क्रिकेट को अलविदा कह रहे थे उस समय उनके साथ पूरा क्रिकेट जगत रो रहा था. उस समय उनके साथ उनकी पत्नी और उनके दोनों बच्‍चे भी साथ में थे.

सचिन की विदाई मैच के बारे में उस दिन उनकी पत्नी अंजली ने कहा था, सचिन के बारे में क्रिकेट के बिना कुछ सोचना बहुत ही कठिन हैं. सचिन सबसे पहले देश के हैं, फिर क्रिकेट के, मुंबई के और तब हमारे. संन्यास के बारे में उन्होंने बताया कि बस ऐसे ही एक दिन सचिन ने मुझसे कहा कि शायद अब वह वक्त आ गया है.

मैंने उनसे कहा कि तो यह अच्छी बात है, इसका बोझ उनके मन पर नहीं होना चाहिए. उसके बाद हमने इस बारे में परिवार से बात की और फिर बस यही तय करना रह गया था कि कब और कहां. तभी वेस्ट इंडीज के भारतीय दौरे का ऐलान हुआ और हमने वक्त तय कर लिया.

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