(डॉ एस बी एस चौहान- इटावा ब्यूरो) लखना- जहां एक तरफ सरकार पर्यावरण को सुधार करने के लिए करोड़ों का खर्च वृक्षारोपण करने और उनके रखरखाव में करती है लेकिन उनके ही अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी इन व्यवस्थाओं में पलीता लगाने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ते,
जब रक्षक ही भक्षक बन जाते हैं तो उम्मीद सुरक्षा के नाम पर किससे जताई जा सकती है ऐसा ही एक उदाहरण उस समय प्रकाश में आया कि जब सामाजिक वानिकी और सेंचुरी विभाग के संयुक्त रखरखाव में जंगलों का कटान बड़े पैमाने पर हर तरफ जारी है। जंगलों में क्या हो रहा है इसका ध्यान किसी का नहीं जा रहा है
क्योंकि इस समय हो रहे अवैध बालू खनन की लूट खसोट में अधिकारी कर्मचारी और यहां तक कि नेतागण, दलाल सभी नोंच खसोट में मशगूल हैं। चारों तरफ जंगलों का कटान बेरहमी के साथ किया जा रहा है अधिकारी और उनके कर्मचारी इस कार्य में पूर्ण रुप से सम्मिलित दिखाई देते हैं। अभी हाल ही में घटित घटना दाऊदपुरा-सब्दलपुर जंगलात की है जहां से भारी भरकम की एक नहीं करीब दर्जन भर शीशम काटकर उनकी खरीद-फरोख्त कर ली गई है। आया हुआ पैसा आपस में बंदरबांट करके अपनी अपनी जेब में समाहित कर लिया गया है।
सब्दलपुर दाउदपुर का जंगल जो सामाजिक वानिकी के तहत आता है इस जंगल में पुरानी खड़ी बेशकीमती शीशमों को उनके ही विभागीय वन दरोगा वन रक्षक और संबंधित अधिकारियों की सांठगांठ से कटवा कर कुछ तो बेंच ली गईं है और बताया जाता है कि कुछ का निजी फर्नीचर में अलमारी, कुर्सी, दैनिक उपयोग की वस्तुएं बनवा ली गईं हैं। यह शीशमें लखना के ही एक आरा मशीन से सांठगांठ कर चिरवाईं गईं हैं। इस संबंध की जानकारी जब हमारे संवाददाता को प्राप्त हुई और वहां पर जाकर फोटो प्राप्त किए गए तो उनसे साफ जाहिर होता है की जो खबर सूत्रों के द्वारा प्राप्त हुई थी वह बिल्कुल ध्रुव सत्य निकली।
लगभग एक दर्जन शीशम के पेड़ लाखों रुपए कीमत की विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से कटवाकर उनके नामों निशान भी खत्म किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जब इस संबंध की सूचना की पुष्टि हेतु वन विभागीय अधिकारियों से बात की गई तो अधिकारियों के फोन स्विच ऑफ या नेटवर्क से बाहर बताऐ गऐ जिससे अधिकारियों का वर्जन लिया जाना संभव नहीं हो सका।
अब देखना यह है कि संबंधित अधिकारी सामाजिक वानिकी की लगाम खींचे जाने के लिए जिलाधिकारी इटावा और संबंधित विभागीय वरिष्ठतम अधिकारी किस एक्शन के मूड में आते हैं? या मामले को नौ दो ग्यारह कर समाप्त कर दिया जाएगा यह अब भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है।