कोर्ट ने इस मामले में यहां तक कहा कि जूते-मोजे की घटिया क्वालिटी ने योजना का उद्देश्य ही विफल कर दिया।इस योजना पर 266 करोड़ रुपये खर्च हुए।
लखनऊ,ब्यूरो:राज प्रताप सिंह
सरकारी स्कूल के बच्चों को घटिया जूते-मोजे बांटने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है।हाईकोर्ट इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ ने इस मामले में टेंडर प्रक्रिया से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए हैं।कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि 11 अप्रैल को सचिव स्तर का अधिकारी सभी रिकॉर्ड लेकर कोर्ट में हाजिर हों।हाईकोर्ट ने खबरों का संज्ञान लेते हुए यहां तक कहा कि प्रथम दृष्टया यह मामला कठोर कार्रवाई का है।
इस मामले में जस्टिस विक्रम नाथ और अब्दुल मोईन ने तल्ख टिप्पणी की है।जस्टिस ने कहा कि 266 करोड़ रुपये खर्च कर 1 करोड़, 54 लाख विद्यार्थियों को जूते-मोजे बांटने की अच्छी योजना को अफसरों ने अपने कारनामे से बर्बाद कर दिया।हाईकोर्ट ने इस मामले में खबरों का संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के तौर पर दर्ज किया था।कोर्ट ने इस मामले में यहां तक कहा कि जूते-मोजे की घटिया क्वालिटी ने योजना का उद्देश्य ही विफल कर दिया. इस योजना पर 266 करोड़ रुपये खर्च हुए.
अफसरों ने करदाताओं का पैसा बर्बाद कर दिया. इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. मालूम हो कि बच्चों को दिए गए घटिया जूते-मोजे और स्कूल बैग चंद महीनों की फटने की खबर को प्रमुखता से दिखाया था. इस मामले में मंत्री के निर्देश पर निदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी बीएसए से रिपोर्ट भी मांगी थी. वहीं हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब विभागीय अधिकारियों में हड़कंप है.
बता दें छात्रों को जूते-मोजे बांटने का फैसला अक्टूबर 2017 में लिया गया. कक्षा 8वीं तक के 1 करोड़, 54 लाख छात्रों के लिए इस योजना में 266 करोड़ का बजट दिया गया. प्रत्येक छात्र पर जूते के लिए 135.75 रुपये और मोजे के लिए 21.85 रुपये खर्च किए गए. लेकिन चंद महीनों में ही जूते-मोजे फटने लगे.