डिप्टी सीएम ने कहा कि अभिभावक अगर विद्यालय से असंतुष्ट हैं,तो वे स्कूल मैनेजमेंट को शिकायत देंगे और 15 दिन में स्कूल मैनेजमेंट उनकी शिकायत दूर करेंगे।अगर शिकायत का निराकरण नहीं हुआ तो कमिश्नर की अध्यक्षता में बनी समिति इस मामले को देखेगी।
लखनऊ,ब्यूरो:राज प्रताप सिंह
राजधानी।सीएम की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय अध्यादेश 2018 के प्रस्ताव पर सहमति बनी है।प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा का कहना है कि इस प्रस्ताव को जल्द ही विधिक रूप दिया जा रहा है।संभवत: एक सप्ताह के भीतर आॅर्डिनेंस के रूप में या अन्य नियमानुसार कार्रवाई संपादित हो जाएगी।उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था लाने का हमारा लक्ष्य किसी का उत्पीड़न नहीं है।शिक्षा व्यवस्था में एकरूपता लाना है।अभिभावकों को राहत देना है।
उन्होंने कहा कि इसमें हमने सिर्फ इतना कहा है कि जो भी स्कूलों का फीस स्ट्रक्चर है, वह 60 दिनों के अंदर अपनी वेबसाइट पर डाल दें।साथ ही बिल्डिंग की जरूरत के अनुसार आपके कार्य,फर्नीचर की जानकारी,वाइफाई,इंटरनेट आदि की जानकारी,स्मार्टक्लासेज दे रहे हैं,या कौन सी और सुविधाएं दे रहे हैं।इसकी जानकारी उपलब्ध करा दें।इसके साथ ही आपके यहां शिक्षकों का वेतन क्या है इसे वेबसाइट पर नए सत्र के शुरू होने से 60 दिन पहले पेश करना होगा।
उन्होंने कहा कि इस कवायद का सीधा फायदा अभिभावकों को मिलेगा।वे विभिन्न स्कूलों की वेबसाइट देखकर अपने बच्चों की भर्ती कराने के लिए उचित स्कूल चुनने में स्वतंत्र रहेंगे।हर साल एडमीशन के नाम पर पैसे लिए जाने पर डिप्टी सीएम ने कहा कि इस पर भी हमने काम किया है।अब कोई भी विद्यालय हर साल प्रवेश शुल्क नहीं ले सकता।वहीं फीस भी एकमुश्त की बजाए तीन महीने या 6 महीने में ही ली जा सकती है।अभिभावक अगर स्वेच्छा से साल भर की फीस जमा कराना चाहे तो वह कर सकता है।लेकिन उस पर ऐसा कोई दबाव नहीं बनाया जा सकता।
वहीं अगर फीस बढ़ानी है तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और विद्यार्थी की फीस का 5 प्रतिशत को जोड़कर जो निष्कर्ष आता है, उससे अधिक फीस नहीं बढ़ाई जा सकती है।इससे उपर फीस बढ़ाने के लिए उन्हें अनुमति लेनी होगी।उन्होंने कहा कि हमारा मकसद है कि शुल्क का नियंत्रण हो।उत्पीड़न न हो बच्चों को किताब,बस्ता,बैग,ड्रेस आदि के लिए परेशान न किया जाए हर साल आप ड्रेस न बदलें आप 5 साल में एक बार ही ड्रेस बदल सकते हैं।
साथ ही हमने अभिभावकों को ये मौका दिया है कि अगर वे विद्यालय से किसी तरह असंतुष्ट हैं,तो वे स्कूल मैनेजमेंट को शिकायत देंगे और 15 दिन में स्कूल मैनेजमेंट उनकी शिकायत दूर करेंगे।अगर शिकायत का निराकरण नहीं हुआ तो कमिश्नर की अध्यक्षता में बनी समिति इस मामले को देखेगी। डिप्टी सीएम ने कहा कि अगर स्कूल मैनेजमेंट इस समिति के आदेश को नहीं मानेंगे तो समिति स्कूल पर एक लाख रुपए तक दंड लगा सकती है।फिर भी नहीं माना तो 5 लाख तक का दंड लगेगा इसके बाद भी मैनेजमेंट नहीं मानता है तो स्कूल की मान्यता रद होगी।