डेस्क : केन्द्र ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिये मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया. नई याचिका में केन्द्र ने कहा कि उसने 2.77 एकड़ विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के पास 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था.
याचिका में कहा गया कि राम जन्मभूमि न्यास (राम मंदिर निर्माण को प्रोत्साहन देने वाला ट्रस्ट) ने 1991 में अधिग्रहित अतिरिक्त भूमि को मूल मालिकों को वापस दिए जाने की मांग की थी. शीर्ष अदालत ने पहले विवादित स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन पर यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.
केन्द्र सरकार ने 1993 में (नरसिंह राव की सरकार) विवादित स्थल के पास की 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. शीर्ष अदालत में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 आदेश के खिलाफ 14 याचिकाएं दायर की गई हैं. अदालत ने 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटे जाने का आदेश दिया था.
उच्चतम न्यायालय ने पीठ के पांच सदस्यों में एक न्यायमूर्ति एस ए बोबडे के उपलब्ध नहीं होने के कारण राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मंगलवार (29 जनवरी) को होने वाली सुनवाई रविवार को रद्द कर दी थी.
केन्द्र ने जमीन अधिग्रहण किया
1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण ऐक्ट के अधीन विवादित जगह और उसके आसपास की जमीन का अधिग्रहण कर लिया था.
जब सुप्रीम कोर्ट में इसको चुनौती दी गई, तब कोर्ट ने 1994 में तमाम दावेदारी वाले सूट को बहाल कर दिया. इसे इस्माइल फारुखी जजमेंट कहा जाता है. लेकिन जमीन केन्द्र के पास ही रखने का आदेश दिया. कोर्ट के फैसले के बाद जिसकी भी जमीन होगी, उसे दे दिया जाएगा.
विहिप ने किया स्वागत
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिये केंद्र सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर किये जाने का स्वागत किया है. विहिप ने कहा कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है.
विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, ‘ यह जमीन राम जन्मभूमि न्यास की है और यह किसी वाद में नहीं है. यह कदम (सरकार का) सही दिशा में उठाया गया कदम है और हम इसका स्वागत करते हैं.’