डेस्क : राज्य में कमला बलान नदी से प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ से दरभंगा और मधुबनी सहित आसपास के जिलों की करीब पांच लाख आबादी को राहत मिलेगी. इसके लिए नदी की सभी पहलुओं के अध्ययन की जिम्मेदारी आइआइटी रुड़की को मिली है.
- कायस्थ महोत्सव 12 जनवरी को, जरूर पधारें …
- अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राजेंद्र कर्ण मनोनीत
- एडीएम नीरज दास की अध्यक्षता में जिला स्थापना दिवस को लेकर बैठक
- जेडीयू नेता राजेश्वर राणा ने तेजस्वी यादव की घोषणा पर बोला हमला
- 2025 में जनगणना, बिहार में तैयारी शुरू
वहां के विशेषज्ञों की अनुशंसा पर कमला बलान के बांधों को मजबूत बनाने और पानी के बहाव को नियंत्रित करने का काम किया जायेगा. इसके लिए सिंचाई प्रणालियों को विकसित कर उनके माध्यम से बाढ़ के पानी का उपयोग फसलों के पटवन के लिए किया जायेगा. साथ ही पानी के दबाव से कटान वाली जगहों की पहचान कर इस समस्या का समाधान किया जायेगा.
जल संसाधन विभाग के सूत्रों का कहना है कि कमला बलान का असर मुख्य रूप से दो जिलों दरभंगा और मधुबनी में है.इन दोनों जिलों की करीब पांच लाख की आबादी इससे प्रभावित है. बाढ़ से राहत दिलाने के लिए आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञों की टीम कमला बलान और इससे प्रभावित इलाकों का दौरा कर चुकी है. इस संबंध में आइआइटी रुड़की को काम करने के लिए राज्य कैबिनेट ने एक करोड़ 30 लाख के खर्च की भी स्वीकृति दी है.
सूत्रों का कहना है कि शुरुआत में कमला नदी के पानी बहुत तीव्रता रहती थी. इसकी तलहटी गहरी थी. इस कारण गर्मी के मौसम में भी इसमें पानी की अच्छी मात्रा रहती थी. नदी के पानी से सिंचाई के लिए वीयर बनाये गये. नदी की तलहटी से गाद की सफाई नहीं होने से नदी की गहरायी कम होती गयी और नदी में बाढ़ आने से इसका पानी अन्य इलाकों में फैलने लगा. यही हाल इससे निकले वीयरों में भी हुआ.
वीयरों में गाद होने से इसका पानी वीयरों से बाहर गिरने लगा. इससे सिंचाई व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा. साथ ही गर्मी के मौसम में पानी की मात्रा कम रहने लगी. ऐसे में कमला बलान की बाढ़ से तबाही का बड़ा कारण इसमें जमा गाद भी है.