बिहार में हाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा कोई अचानक हुई घटना नहीं थी बल्कि यह एक सुनियोजित साज़िश का हिस्सा थी हिंसा को सुनियोजित तरीके से फैलाने वालों ने हथियार तक ऑनलाइन मंगवाए थे ऐसा दावा किया है पत्रकारों और सामाजिक संगठन यूनाइटेड अगेंस्ट हेट की एक टीम ने जो इस पूरे मामले की जाँच के लिए बिहार गई थी इस टीम का दवा है कि एक ही तरह के नारे भड़काऊ गानों की सीडी और पेन ड्राइव बाटें गए और तलवारों को ऑनलाइन ऑर्डर मंगाया गया इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों को यह हथियार बाटे गए
इस टीम का दावा है कि जुलूस बाइक रैली की शक्ल में एक समुदाय विशेष की आबादी में घुस कर तनाव पैदा करने की कोशिश करती थी और उस समुदाय को निशाना बना कर उन्हें नुकसान पहुँचाया गया इस हिंसा के पीछे का मकसद सिर्फ वोट बैंक की राजनीति थी इस टीम ने रामनवमी के आसपास सांप्रदायिक हिंसा के बाद बिहार का दौरा किया था
टीम के लोगों ने इस दौरान सिवान गया कैमूर औरंगाबाद समस्तीपुर मुंगेर नवादा नालंदा हैदरगंज और रोज़ारा के स्थानीय लोगों से बात भी की टीम ने सभी पक्षों से पूरे मामले को समझने की कोशिश की इसमें आम लोगों के अलावा पुलिस प्रशासन के लोगों से मुलाक़ात भी शामिल है अपनी छानबीन के दौरान टीम ने पाया कि सभी जगह हुई हिंसा का तरीक़ा मिलता जुलता था