दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रकाशित पूरे देश मे चर्चित विश्वविद्यालय पंचांग 2020-21 का गुरुवार को गूगल मीट एप्प के जरिये कुलपति प्रो0 राजेश सिंह ने ऑनलाईन विमोचन किया।
- राज्यस्तरीय डॉग शो 12 फरवरी को, लैब्राडोर से लेकर बीगल तक 20 तरह की नस्लें होंगी शामिल
- अपोलो कोलकाता में शुरू हुए इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी और माइक्रो न्यूरो सर्जरी को लेकर दरभंगा में मेडिकल जागरूकता कार्यक्रम
- 144 पीड़ितों के मुआवजा राशि एवं पेंशन पर कुल 75 लाख 60 हजार 650 रूपए का भुगतान
- छात्राओं का सर्वाईकल कैंसर से बचाव के लिए HPV Vaccine का टीकाकरण आज से
- हल्ला बोल :: ऐतिहासिक गामी पोखर को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए एकजुट हुए समाज के लोग, बोले – तालाब बचाओ…
इस तरह कोरोना संक्रमण काल के कारण पंचांग प्रकाशन में हो रहे थोड़े विलम्ब से उत्पन्न उहापोह खत्म हो गया और वर्षों से विश्वसनीय विश्वविद्यालय पंचांग अब आमजनों के लिए बाजार में बिक्री के लिए सुलभ हो जाएगा।

- कुलपति ने ऑनलाइन किया विश्वविद्यालय पंचांग का विमोचन
- शुभ मुहूर्त व तिथि का अब आसानी से होगा निर्धारण
- पर्व-त्योहारों के समय को लेकर ऊहापोह हुआ खत्म
ऑनलाइन विमोचन के मौके पर विश्ववविद्यालय के लगभग सभी पदाधिकारी एप्प के माध्यम से जुड़े रहे। कुलपति प्रो0 सिंह ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि विपरीत समय के बावजूद विश्वविद्यालय ने पंचांग का प्रकाशन कर ऐतिहासिक कार्य किया है। पंचांग सामग्री के समायोजन में लगे सभी विद्वानों को भी उन्होंने धन्यवाद दिया।
इसके पूर्व कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डीन प्रो0 शिवकांत झा ने विश्वविद्यालय पंचांग की महत्ता एवम सर्वकालिक उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सभी तरह के मांगलिक आयोजनों एवम शुभ मुहुर्त की गणना में यह पंचांग सर्वोत्तम है। समय -काल -तिथि की विवरणी व इसके उपयोग को पंचांग में सर्वसुलभ किया गया है। प्रो0 झा ने पंचांग प्रकाशन में आ रही प्रशासनिक बाधाओं को हरसम्भव दूर करने के लिए कुलपति के प्रति आभार व्यक्त किया।
उक्त जानकारी देते हुए उपकुलसचिव निशिकांत ने बताया कि माह आश्विन के अधिमास यानी मलेमास होने के कारण इस बार पंचांग के कुल 46 पेज रखे गए हैं। इसकी डुप्लीकेसी न हो इसके लिए विश्वविद्यालय का होलोग्राम भी पंचांग के मुख्य पृष्ठ पर चिपकाया गया है। पंचांग प्रकाशन की जिम्मेदारी स्थानीय गुल्लोंबाड़ा के बाला जी ऑफसेट प्रेस को दी गयी है।
मालूम हो कि 1978 से विश्वविद्यालय पंचांग का प्रकाशन जारी है। मूलतः मिथिला की संस्कृति व परम्पराओं को आधार मानकर पंचांग में शुभ मुहूर्त व तिथि का निर्धारण किया जाता है। पंचांग की व्यापकता देश-विदेश तक फैली हुई है। इसके विमोचन से पर्व त्योहारों के समय-तिथि को लेकर चल रही उहापोह की स्थिति अब खत्म हो गयी है।