यूपी:एक बार फिर ‘भगवान राम’ की यूपी की सियासत में एंट्री!
राज प्रताप सिंह,ब्यूरो लखनऊ
दरअसल, राममंदिर अयोध्या में कब बनेगा, ये किसी को नहीं पता।लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव में भगवान राम जनता और सत्ता पर हावी रहेंगे।
1991 और 1996 के बाद 2019 में एक बार फिर चुनावी माहौल ‘राममय’ होने जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दो तिहाई बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाई थी, लेकिन मुद्दा सुशासन और विकास था। मस्जिद में नमाज पढ़े जाने को लेकर सुप्रीम कोर्टद्वारा दिए गए फैसले के बाद एक बार फिर रामधुन सुनाई देने लगी है।तो क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में विकास की जगह राम ही खेवनहार बनेंगे?
दरअसल, राममंदिर अयोध्या में कब बनेगा, ये किसी को नहीं पता।लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव में भगवान राम जनता और सत्ता पर हावी रहेंगे।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण अयोध्या विवाद की सुनवाई का रास्ता साफ होने से बीजेपी खेमे में खुशी है।1991 और 1996 के आम चुनाव में राममंदिर मुद्दा था। इसके बाद 1998, 1999, 2002, 2009 और 2014 में ये मुद्दा जोर नहीं पकड़ पाया।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 2002 में दोनों पक्षों के बीच बातचीत के लिए अयोध्या विभाग का गठन, 2003 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को खुदाई के निर्देश, 2009 में विवादित ढांचा विध्वंस के लिए गठित लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट आने और 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा जजमेंट आने के बाद भी चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया।
2004 में ‘इंडिया शाइनिंग’ का नारा लगा और बीजेपी चुनाव हार गई।2009 में फिर यूपीए की सरकार बनी, जिसके बाद तमाम घोटालों को सामने लाकर विपक्ष हावी हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 बीजेपी की दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनी।अब एक बार फिर चुनाव सामने है। लेकिन इस बार भले ही पीएम विकास की बात करें, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से चुनावी बयार में भगवान राम की एंट्री हो चुकी है।बीजेपी के नेता इस बात से खुश हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया और उनकी निगाहें आगे के फैसलों पर हैं।
प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता डॉ चंद्रमोहन ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी इस फैसले का सम्मान करती है।सभी लोग न्यायालय के फैसले के साथ लगाव रखते हैं।जो फैसला आया है, वह एक महत्वपूर्ण विषय के साथ जुड़ा हुआ है। सभी लोग इसका अभिनन्दन करते हैं।बीजेपी भी स्वागत करती है।अब आगे भी जो फैसला आएगा, वह जल्द आए, इसकी अपेक्षा है”
उधर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट कर अपना संदेश दे दिया है।दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी का कहना है कि इस बार राम बीजेपी से नाराज हैं, क्योंकि सरकार बनाने बाद भी राम राज्य नहीं ला सकी।सपा प्रवक्ता सुनील सिंह सजन कहते हैं “आज देश में मुद्दा महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार ही है।भगवान राम भी बीजेपी को इस बार नहीं जीता पाएंगे।जनता समझती है और जवाब देगी”
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दूसरी तरफ कांग्रेस की मानें तो बीजेपी की कलई खुल गई है और अब जनता ये पूछ रही है कि अच्छे दिन कब आएंगे।कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा “2014 के बाद जिन मुद्दों पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा और वायदे किए, वे सब बेनकाब हो गए।आज उन्हें दलितों की चिंता नहीं है, युवाओं की चिंता नहीं है और किसानों की चिंता नहीं है।जब चुनाव आता है तो इन्हें भगवान राम याद आते हैं।आज बीजेपी की कलई खुल चुकी है”
कोई भी राजनीतिक दल अयोध्या मसले पर सीधे नहीं आना चाह रहा है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बात कर रहा है।लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की अपार सफलता के पीछे कहीं ना कहीं राम मंदिर निर्माण की उम्मीद भी लोगों ने जोड़ रखी है। विपक्ष जहां पेट्रोल की बढ़ती कीमतों जैसे मुद्दों से सियासी आग भड़काने की कोशिश करेगा, वहीं बीजेपी राममय माहौल से एक बार फिर सियासी बिसात बिछाएगी, क्योंकि सरकार के सामने एससी-एसटी एक्ट जैसे मुद्दे भी मुंह बाए खड़े हैं।ऐसे में 5 अक्टूबर को दिल्ली में राममंदिर को लेकर होने वाली विहिप की बैठक के साथ ही 29 अक्टूबर के बाद सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई चुनावी मुद्दे तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।