यूपी:दवा दुकानें बंद होने से बेहाल रहे मरीज, तीमारदार
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1.12 लाख दुकानें पूरे प्रदेश में बंद रहीं
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लखनऊ में छह हजार दुकानों पर नहीं मिली दवाएं
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करीब 90 करोड़ रुपए की खरीद और बिक्री का असर पड़ा
राज प्रताप सिंह,ब्यूरो लखनऊ
लखनऊ।दवा व्यापार में ई-फॉर्मेसी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 28 अगस्त को जारी ड्रॉफ्ट के विरोध समेत अन्य मांगों के समर्थन में दवा व्यापारियों ने पूरे प्रदेश में शुक्रवार को दुकानें बंद रखीं। दवा व्यापारियों का कहना है कि ई-फॉर्मेसी को बढ़ावा देने से इसका असर सीधे मरीजों पर पड़ेगा। लोग गलत दवाएं मंगा लेंगे। उनकी जांच के लिए सीधे तौर पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकेगी। दवा दुकानें ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के बैनर तले पूरे भारत में बंद का असर देखने को मिला।
मरीज और तीमारदार दवा लेने के लिए बाजारों में भटकते रहे। वहीं, सरकारी और निजी अस्पतालों में दवा लेने के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ी। अधिक भीड़ और अव्यवस्था के चलते सरकारी अस्पताल में तो कई जगह मरीज बिना दवा लिए लौट गए। प्रदेश में 1.12 लाख दुकानें बंद, 90 करोड़ का असरकैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन उप्र. के आवाह्न पर शुक्रवार को राजधानी की सभी दवा दुकानें बंद रहीं।
लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन लखनऊ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश कुमार और कोषाध्यक्ष सुदीप दुबे ने संयुक्त रूप से बताया कि लखनऊ की सबसे प्रमुख बाजार अमीनाबाद मेडिसिन मार्केट, गोमती नगर, अलीगंज, कैसरबाग, आलमबाग, चौक, मेडिकल कॉलेज समेत अन्य इलाकों में होलसेल व रिटेल की करीब छह हजार दवा दुकानें बंद रहीं। वहीं, प्रदेश में करीब एक लाख 12 हजार दवा दुकानों पर ताला लटका रहा।
दुकानदारों ने अमीनाबाद समेत अलग-अलग जगह पर सड़क पर सभाएं भी की। दुकानें बंद होने से करीब 90 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित रहा। खरीद और बिक्री दोनों पर असर रहा। अस्पताल में दुकानें खुली रहीं मरीजों के हितों को देखते हुए सरकारी अस्पताल व निजी अस्पताल के अंदर चल रहे मेडिकल स्टोर इस हड़ताल के दायरे में नहीं रहे। इसके बावजूद अस्पतालों में अधिक भीड़ और दवा दुकानें बंद होने का असर दिखा। कई मरीज और तीमारदार दवा लेने के लिए काउंटर पर घंटों खड़े रहे। कुछ लोग तो बिना दवाएं लिए ही लौट गए।
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कुछ मरीजों को कम दवाएं ही मिलीं। इमरजेंसी में मरीजों को दवाएं मिलीं। यह रही प्रमुख मांगें लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी विकास रस्तोगी का कहना है कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन उत्तर प्रदेश द्वारा खुदरा दवा दुकानों को जारी ड्रग लाइसेंस के अनुपात में फार्मेसिस्ट की व्यवस्था नहीं की गई है। ई-फॉर्मेसी को बढ़ावा न दिया जाए। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, उत्तर प्रदेश के अधिकारियों द्वारा कानून के विरुद्ध बनाए गए नियम द्वारा दवा व्यापारियों का शोषण बंद हो। ऑनलाइन दवा खरीदने पर यदि मरीज डॉक्टर बदलेगा तो दवा वापस करने की दिक्कत होगी। दैनिक मजदूर अथवा निम्न आय वाले आम उपभोक्ता अपनी स्थिति के अनुसार दवा नहीं खरीद पाएंगे।