प्रदेश सरकार हर जिले में दो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना के लिए जगह चयनित करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है।
राज प्रताप सिंह,ब्यूरो लखनऊ
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने अहम कदम उठाए हैं।जिसके तहत सरकार ने निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर सूबे में करीब एक हजार अस्पताल बनाने का फैसला किया है।राज्य सरकार ने इसके लिए सलाहकार कम्पनी को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार का करने को कहा है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मीडिया को बताया कि प्रदेश में एक हजार अस्पताल स्थापित करने के लिए प्रमुख सलाहकार कम्पनी ‘अर्नेस्ट एण्ड यंग’ को डीपीआर तैयार करने को कहा गया है।उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार हर जिले में दो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना के लिए जगह चयनित करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है।हर स्वास्थ्य केन्द्र करीब तीन एकड़ क्षेत्र में बनेगा।यह जमीन निजी कम्पनी को दीर्घकालीन पट्टे पर दी जाएगी।इस स्वास्थ्य केन्द्र में 100 शय्याओं का अस्पताल बनेगा।इसमें एक ऑपरेशन थियेटर और डायग्नोस्टिक सेंटर भी होगा।
सिंह ने बताया कि सरकार उन अस्पतालों की ओपीडी के खर्च की भरपाई करेगी।वहीं, नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम से भी मदद ली जाएगी।उन्होंने दिल्ली और दक्षिण भारत के कुछ मशहूर अस्पतालों के अधिकारियों से बातचीत की है और उम्मीद है कि यह परियोजना आगामी नवम्बर में शुरू हो जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश के जिला अस्पतालों में चिकित्सकों की भर्ती के लिये बेसिक मिनिमम मॉड्यूल (बीएमएम) तय करने के सिलसिले में वह मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्ताव रखेंगे।
उन्होंने बताया कि इसके लिए नियम तो है,लेकिन उसका पालन नहीं किया जा रहा है. चिकित्सकों के तबादलों की प्रक्रिया में खामियां हैं। बीएमएम को मंत्रिपरिषद से हरी झंडी मिलने पर सभी अस्पतालों में सुनिश्चित पद स्थापित करना जरूरी हो जाएगा।
सिंह ने बताया कि चिकित्सकों की कमी होने पर अनुबंध के आधार पर उनकी भर्ती की जाएगी।इसके लिए निविदा जारी की जाएगी।
Yogi government’s big decision, 1,000 new hospitals built state